-वेबदुनिया डेस्क दो बार महू की सीट से जीतकर भोपाल में विधानसभा की सीढ़ी चढ़ने वाले कांग्रेस के कद्दावर नेता अंतरसिंह दरबार के खिलाफ चुनाव लड़ने जा रहे कैलाश विजयवर्गीय ने अपनी सीट बुक होते ही सुर बदल लिए हैं।
कैलाश ने कहा कि इंदौर में जिस तरह मैंने विकास की गंगा बहाई, अब उसकी धारा महू की ओर मुड़ गई है और मैं इसे प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ उपनगर बनाकर ही चैन की साँस लूँगा। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि मेरा कर्मक्षेत्र इंदौर जरूर रहा है, लेकिन महू के कार्यकताओं से भी मैं जीवंत रूप से जुड़ा रहा। मैं ग्रामीण क्षेत्रों में जाता रहा हूँ।
उन्होंने इस बात पर असफोस जताया कि महू की जनता जिस नेता को दो बार विजयी बना चुकी है, उन्होंने इस क्षेत्र के विकास में कोई रुचि नहीं ली यही कारण है कि इंदौर के बिलकुल सटे रहने के कारण भी यह क्षेत्र विकास के मामले में पिछड़ा रहा।
कैलाश ने इस बात से भी इनकार किया कि मुझे 'अभिमन्यु' की तरह घेरकर महू से चुनाव लड़ने की चुनौती सौंपी है। उन्होंने कहा कि मैंने केन्द्रीय नेतृत्व के आदेश का परिपालन किया है ताकि प्रदेश में बीजेपी की सीटें बढ़ाने में कांग्रेस की इस सीट को छीन सकूँ।
महू में अभी मतदान और उसका चुनाव परिणाम आने में काफी समय बाकी है, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि यहाँ पर मेरी भारी मतों से जीत होगी और 'अर्जुन' की तरह लक्ष्य साधकर मैं नया इतिहास रचूँगा।
जहाँ तक विधानसभा क्षेत्र 2 में मेरे बलिदान को महिमामंडित किया जा रहा है, उसके संदर्भ में मैं यही कहूँगा कि मैंने कोई बलिदान नहीं किया। रमेश मेंदोला वर्षों से मेरे साथ कार्य करते रहे हैं और मेरी यही इच्छा थी कि उन्हें भी मौका मिलना चाहिए। मैंने तो मेरे कार्यकर्ताओं से यहाँ तक कह दिया है कि वे अपनी तमाम ताकत रमेश को जीत दिलाने में लगाए और महू भी नहीं आएँ।
कैलाश विजयवर्गीय भले ही यह दावा करें कि महू से उनकी जीत सुनिश्चित है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है दरबार की पकड़ भी महू क्षेत्र में कम नहीं है। ग्रामीण अंचलों में लगातार 2 बार विधानसभा की जीत इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। वह भी उस स्थिति में जबकि उन्होंने प्रदेश भाजपा की अग्रिम पंक्ति के नेता स्व. भेरूलाल पाटीदार जैसी हस्ती को हराया।
दरबार जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं और पिछले चुनाव में भाजपा लहर के बावजूद वे जीत दर्ज करने में सफल रहे थे। महू के मुस्लिम मत भी इस बार के चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं। कुल मिलाकर यह तो तय है कि मालवांचल की यह सीट न सिर्फ कैलाश विजयवर्गीय बल्कि भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गई है।