सहरिया वोट बैंक पर पार्टियों की नजर

मंगलवार, 5 नवंबर 2013 (17:31 IST)
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मुरैना (मप्र)। मुरैना-श्योपुर संसदीय क्षेत्र में सहरिया ही एकमात्र ऐसी अनुसूचित जनजाति है, जिसका अब तक कोई विधायक नहीं चुना गया है।

इस संसदीय क्षेत्र के विजयपुर एवं श्योपुर विधानसभा क्षेत्रों में सहरिया मतदाताओं की संख्या भारी मात्रा में है। सहरिया आदिवासी जनजाति क्षेत्र में आदिवासी एकता परिषद एक लंबे समय से काम कर रही है। एकता परिषद के मुख्य कर्ताधर्ता प्रख्यात समाजसेवी एसएन सुब्बाराव हैं।

भाजपा ने वर्ष 2008 में विजयपुर से एकता परिषद की पहल पर सहरिया आदिवासी नेता सीताराम को टिकट दिया, लेकिन वे कांग्रेस से चुनाव हार गए थे।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मुखिया शिवराज सिंह चौहान एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने पिछले माह एकता परिषद द्वारा ग्वालियर से निकाली गई ‘आदिवासी भू अधिकार रैली’ में भाग लिया। साथ में प्रदेशभर में रैली के सारे इंतजाम भी किए।

भाजपा ने इस विधानसभा चुनाव में एक बार फिर एकता परिषद की मांग पर अपनी विजयपुर विधानसभा सीट पर सीताराम आदिवासी को उम्मीदवार बनाकर अपने निष्ठावान कार्यकर्ताओं की बलि चढ़ा दी है, लेकिन क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि भाजपा एवं एकता परिषद का यह सियासी समझौता शायद ही सहरिया विधायक का सपना पूरा कर सके। सीताराम के खिलाफ इस सीट से तीन बार से लगातार विधायक रहे कांग्रेस के रामनिवास रावत चुनाव मैदान में हैं।

ग्वालियर-चंबल संभाग में सहरिया अनुसूचित जनजाति के छह विधानसभा क्षेत्रों में लगभग दो लाख मतदाता हैं। इसके बावजूद पिछले विधानसभा चुनाव में एक विजयपुर से भाजपा को छोड़कर किसी को टिकट नहीं दिया था। सहरिया बहुल विधानसभा सीटों में विजयपुर, श्योपुर, जौरा, भितरवार और शिवपुरी की दो विधानसभा सीटें हैं। (भाषा)

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