भोपाल। मध्यप्रदेश में लगातार तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाने जा रही भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक सफल प्रशासक के साथ ही बेहद विनम्र और मिलनसार राजनेता के रूप में पहचाना जाता है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से 1972 में संपर्क में आए चौहान ने 1975 में आपातकाल के आंदोलन में भाग लिया और भोपाल जेल में निरुद्ध रहे। भाजयुमो के प्रांतीय पदों पर रहते हुए उन्होंने विभिन्न छात्र आंदोलनों में भी हिस्सा लिया।
उमा भारती और बाबूलाल गौर के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री के बतौर 29 नवंबर 2005 को पहली बार शपथ लेने वाले चौहान यहां लगातार दूसरी बार 2008 में भी मुख्यमंत्री रहे और पार्टी की घोषणा के अनुसार 14वीं विधानसभा में बहुमत पाकर सरकार में आने पर वे लगातार तीसरी बार इस पद की शपथ लेने जा रहे हैं।
चौहान वर्ष 1990 में पहली बार बुधनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे। इसके बाद 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से उन्होंने लखनऊ सीट को रखा था और विदिशा से इस्तीफा दे दिया था। विदिशा में पार्टी ने शिवराज को प्रत्याशी बनाया और वे वहां से पहली बार सांसद बने।
सीहोर जिले के जैत गांव में 5 मार्च 1959 को जन्मे 54 वर्षीय चौहान की संगीत, अध्यात्म, साहित्य एवं घूमने-फिरने में विशेष रुचि है। उनकी पत्नी साधना सिंह हैं और उनके 2 पुत्र हैं। उनकी शैक्षणिक योग्यता कला संकाय से स्नातकोत्तर है।
चौहान 1991-92 में अखिल भारतीय केसरिया वाहिनी के संयोजक तथा 1992 में अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा के महासचिव बने। सन 1992 से 1994 तक भाजपा के प्रदेश महासचिव नियुक्त होने के साथ ही वे वर्ष 1992 से 1996 तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति, 1993 से 1996 तक श्रम और कल्याण समिति तथा 1994 से 1996 तक हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य रहे।
11वीं लोकसभा में वर्ष 1996 में वे विदिशा संसदीय क्षेत्र से पुन: सांसद चुने गए। सांसद के रूप में 1996-97 में वे नगरीय एवं ग्रामीण विकास समिति, मानव संसाधन विकास विभाग की परामर्शदात्री समिति तथा नगरीय एवं ग्रामीण विकास समिति के सदस्य रहे।
वर्ष 1998 में वे विदिशा संसदीय क्षेत्र से ही 3री बार 12वीं लोकसभा के सदस्य चुने गए। वे 1998-99 में प्राक्कलन समिति के सदस्य रहे। 1999 में वे विदिशा से लगातार चौथी बार 13वीं लोकसभा के लिए एक बार फिर चुने गए और 1999-2000 में कृषि समिति के सदस्य तथा 1999-2001 में सार्वजनिक उपक्रम समिति के सदस्य रहे।
साल 2000 से 2003 तक भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने पार्टी की युवा इकाई को मजबूत करने के लिए मेहनत की। इस दौरान वे सदन समिति (लोकसभा) के अध्यक्ष तथा भाजपा के राष्ट्रीय सचिव भी रहे। वे 2000 से 2004 तक संचार मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहने के साथ ही 5वीं बार विदिशा से 14वीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
वे वर्ष 2004 में कृषि समिति, लाभ के पदों के विषय में गठित संयुक्त समिति के सदस्य, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, भाजपा संसदीय बोर्ड के सचिव, केन्द्रीय चुनाव समिति के सचिव तथा नैतिकता विषय पर गठित समिति के सदस्य और लोकसभा की आवास समिति के अध्यक्ष रहे।
वर्ष 2005 में चौहान मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष नियुक्त किए गए और उन्हें 29 नवंबर 2005 को उमा भारती और बाबूलाल गौर के बाद पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई।
प्रदेश की 13वीं विधानसभा के निर्वाचन में चौहान ने भाजपा के स्टार प्रचारक की भूमिका का बखूबी निर्वहन कर पार्टी को लगातार दूसरी बार विजय दिलाई। उन्हें 10 दिसंबर 2008 को पार्टी के 143 सदस्यीय विधायक दल ने सर्वसम्मति से नेता चुना और उन्होंने 12 दिसंबर 2008 को भोपाल के जम्बूरी मैदान में आयोजित सार्वजनिक समारोह में मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण की।
विकास और स्वच्छ छवि के लिए मध्यप्रदेश की जनता में लोकप्रिय शिवराज ने लगातार तीसरी बार भाजपा को जीत दिलाई है। (भाषा)