*वैज्ञानिक पद्धति से खेत-तालाब व अमृत सरोवरों के निर्माण स्थलों का किया गया चयन
*दो दिवसीय दौरे पर 12 जून को आएगी टीम
*मनरेगा परिषद के द्वारा किए गए नवाचार को मिली सराहना
भोपाल। जल गंगा संवर्द्धन अभियान में मनरेगा परिषद द्वारा किए गए नवाचार को देखने महाराष्ट्र सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का 9 सदस्यीय दल 2 दिवसीय दौरे पर मध्यप्रदेश आएगा। इस दल में महाराष्ट्र शासन के मंत्रालय जिला और विकास खंड स्तर के अधिकारी शामिल है। वॉटर शेड विभाग के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी कमलाकर रानादेवी के नेतृत्व में दल के सदस्य 12 जून को भोपाल एवं 13 जून को रायसेन जिले के सांची विकासखंड का भ्रमण करेंगे।
दल के सदस्य फील्ड में जाकर सिपरी सॉफ्टवेयर खेत तालाब और अमृत सरोवरों के निर्माण स्थल चयन में किस तरह से काम करता है, इसका अध्ययन करेंगे। साथ ही मनरेगा परिषद द्वारा कार्ययोजना को लेकर तैयार किए गए प्लानर ऐप के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे। जल गंगा संवर्द्धन अभियान अंतर्गत बारिश के पानी को बचाने के लिए बनाए जा रहे खेत तालाब, अमृत सरोवर और कूप रिचार्ज पिट का कार्य भी देखेंगे।
केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय भूमि संसाधन विभाग द्वारा बीते दिनों राष्ट्रीय समीक्षा कार्यक्रम आयोजित किया गया था। समीक्षा कार्यक्रम में मनरेगा आयुक्त-संचालक वॉटरशेड मिशन अवि प्रसाद ने मध्यप्रदेश में जल संरक्षण व संवर्द्धन और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के कार्यों के चयन तथा मॉनिटरिंग के लिए किए गए नवाचार सिपरी सॉफ्टवेयर का प्रस्तुतीकरण किया जिसकी केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा प्रशंसा की गई है।
केंद्र सरकार ने राज्य के इस नवाचार को समीक्षा कार्यवाही विवरण में रेखांकित किया है। राष्ट्रीय समीक्षा में अन्य राज्यों के प्रमुख सचिवों और मुख्य कार्यपालन अधिकारियों ने भी सिपरी की उपयोगिता की सराहना की और अपने राज्यों में भी इसके उपयोग की रुचि दिखाई। अब अन्य राज्यों से भी सिपरी के अध्ययन के संबंध में प्रस्ताव प्राप्त हो रहे हैं।
सिपरी सॉफ्टवेयर की मदद से खेत तालाब, अमृत सरोवर का किया गया है स्थल चयन
प्रदेश में पहली बार खेत-तालाब और अमृत सरोवरों के निर्माण के लिए स्थल का चयन वैज्ञानिक पद्धति से किया गया है। इसके लिए मनरेगा परिषद द्वारा सिपरी सॉफ्टवेयर की मदद ली गई है। जल गंगा संवर्द्धन अभियान अंतर्गत पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की मनरेगा योजना में सभी जिलों में 78 हजार 950 खेत तालाब, 99 हजार 320 कूप रिचार्ज पिट और 1 हजार 254 अमृत सरोवरों का निर्माण कराया जा रहा है। साथ ही 2 लाख 30 हजार 749 जलदूतों ने पंजीयन कराया है।
क्या है सिपरी सॉफ्टवेयर एवं प्लानर ऐप?
सिपरी (सॉफ्टवेयर फॉर आइडेंटीफिकेशन एंड प्लानिंग ऑफ रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर) सॉफ्टवेयर एक उन्न्त तकनीक का सॉफ्टवेयर है जिसे महात्मा गांधी नरेगा, मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद, भोपाल द्वारा एमपीएसईडीसी और इसरो के सहयोग से तैयार कराया गया है। इस सॉफ्टवेयर का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण के लिए उपयुक्त स्थलों की सटीक पहचान कर गुणवत्तापूर्ण संरचनाओं का निर्माण सुनिश्चित करना है। साथ ही यह भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आधारित वैज्ञानिक पद्धतियों से जल सरंचना स्थलों के चयन को अधिक सटीक बनाता है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मनरेगा परिषद द्वारा एक प्लानर ऐप बनाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य है मनरेगा के उद्देश्यों एवं प्रावधानों का पालन कराते हुए कार्ययोजना को आसान तरीके से बनाया जाना। ऐप के माध्यम से ग्राम पंचायत स्तर पर लिए जाने वाले कार्यों की वार्षिक कार्ययोजना तैयार की जाती है। मध्यप्रदेश इस तरह का नवाचार करने वाला देश का पहला राज्य है। 6 एवं 7 जून को बिहार सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के 4 सदस्यीय दल ने भोपाल आकर सिपरी सॉफ्टवेयर और प्लानर ऐप के बारे में जानकारी भी प्राप्त कर चुका है।
30 जून तक चलेगा जल गंगा संवर्द्धन अभियान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में बारिश के पानी की प्रत्येक बूंद का संचयन व पुराने जल स्त्रोतों का जीर्णोद्धार करने के लिए प्रदेश में तीन माह तक जल गंगा संवर्द्धन अभियान चलाया जा रहा है। 30 जून तक वाले इस अभियान की शुरुआत 30 मार्च को हुई थी।