इंदौर में पिता कैलाश की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए बेकरार दिख रहे हैं आकाश विजयवर्गीय

विकास सिंह
भोपाल। इंदौर में जर्जर भवन गिराने पहुंचे नगर निगम के अफसर की पिटाई करने के कारण 4 दिन जेल की हवा खाने के बाद जमानत पर बाहर निकले भाजपा के ‘बल्लामार’ विधायक आकाश विजयवर्गीय अब सियासी तौर पर अपनी नई पहचान बनाने के लिए बेकरार दिख रहे हैं। पहली बार इंदौर-3 विधानसभा सीट से विधायक चुने गए आकाश की पहचान बेहद सौम्य और धार्मिक प्रवृत्ति वाले राजनेता के तौर पर रही है, लेकिन अब उनके तेवर एकदम अलग ही नजर आ रहे हैं।

सोमवार शाम आकाश ने एक वीडियो जारी कर जहां नगर निगम के बड़े अपसरों पर गंभीर आरोप लगाए वहीं अपने पिता की धुर विरोधी कांग्रेस के दिग्गज नेता सज्जन सिंह वर्मा को खुला चैलेंज दे दिया है। सूबे की सियासत में आकाश के पिता कैलाश विजयवर्गीय और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में कैबिनेट मंत्री सज्जन सिंह वर्मा की सियासी अदावत काफी पुरानी रही है। दोनों ही नेता एक-दूसरे पर हमला करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते रहे हैं।

ऐसे में अब आकाश ने सीधे सज्जन सिंह वर्मा पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनको सीधे चुनौती दे डाली, भाजपा विधायक की इस चुनौती को सियासी गलियारों में अपना सियासी कद बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। इंदौर में नगर निगम के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले आकाश विजवयर्गीय एक तरह से अपने पिता की सियासी राह पर आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। इंदौर की स्थानीय राजनीति से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बनने वाले कैलाश विजयवर्गीय भी अपने राजनीतिक सफर के शुरुआती दिनों में अपने तेवरों के लिए काफी चर्चा में रहे हैं।

मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटेरिया कहते हैं कि निश्चित तौर पर आकाश विजयवर्गीय इंदौर की राजनीति में अपने पिता कैलाश विजयवर्गीय की परंपरा और सियासी विरासत को आगे ले जाना चाहते हैं और इसके लिए वे कोई भी मौका और अवसर छोड़ना नहीं चाहते हैं। शिव अनुराग पटैरिया कहते हैं कि ऐसे में जब पिता कैलाश विजयवर्गीय इन दिनों मध्य प्रदेश से अधिक पश्चिम बंगाल में अधिक सक्रिय हैं तो बेटे आकाश पिता की अनुपस्थिति में पूरी राजनीतिक जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाने के लिए बेकरार दिख रहे हैं।

एक सरकारी अफसर की पिटाई करने के आरोप में जेल गए आकाश के समर्थन में जिस तरह उनके समर्थकों ने पूरे इंदौर में 'सैल्यूट आकाश' के पोस्टर और बैनर लगाए उसको अपने नेता की एक नई छवि गढ़ने के तौर पर देखा गया। समर्थक अपने नेता को गरीबों के मसीहा के तौर पर स्थापित करना चाह रहे हैं और अब आकाश ने नगर निगम के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पूरी कार्रवाई को गरीबों और बेसहारा लोगों के खिलाफ जानबूझकर राजनीतिक इशारे पर की जा रही कार्रवाई बताकर पूरे मसले को सियासी रंग दे दिया है।

आकाश विजयवर्गीय ने निगम की जर्जर भवनों को चिन्हित करने और उनको गिराने को एक घोटाला बताते हुए पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर एक पत्र मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखा है। इससे पहले जेल से रिहा होने पर आकाश ने घटना पर किसी भी तरह का अफसोस नहीं जाहिर कर अपने इरादे पहले ही साफ कर दिए थे और अब वे उस पर आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं।

इसको कहने में कोई संकोच नहीं कि पहली बार विधायक बने आकाश विजयवर्गीय की अब तक पहचान भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे से ज्यादा कुछ नहीं थी, लेकिन निगम अधिकारी की पिटाई कर एकाएक वे राजनीति के क्षितिज पर एक ऐसे नेता के रूप में उभरे, जिनकी चर्चा आज हर तरफ हो रही है और अब आकाश अब अपने पिता की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए एक तरह से बेकरार दिख रहे हैं। 

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