दो रचनात्मक दोस्तों की याद : अमृतलाल नागर और बलराज साहनी

इंदौर। प्रसिद्ध साहित्यकार अमृतलाल नागर के जन्मशताब्दी वर्ष के अवसर पर 22 जुलाई को उनकी तीन कहानियों पर आधारित नाटक ‘नागर की नगरिया, क़िस्सों की अटरिया’ का प्रदर्शन आनंद मोहन माथुर सभागृह में किया जाएगा। कार्यक्रम शाम 5 बजे से 9 बजे तक चलेगा।
‘नागर की नगरिया, क़िस्सों की अटरिया’ नाटक अमृतलाल नागर जी की तीन कहानियों ‘क़ादिर मियाँ की भौजी’, ‘शक़ीला की माँ’ और ‘मोती की सात चलनियाँ’ से बुना गया है। इन कहानियों में नागरजी ने लखनऊ का खास माहौल तैयारकर उसके भीतर धड़कने वाली अलग-अलग ज़िंदगियों को उनकी उलझनों, परेशानियों को चुटीलेपन और ख़ूबसूरती के साथ पकड़ा है।
 
नाटक मुंबई के परख थियेटर समूह के नाट्य निर्देशक और फ़िल्म अभिनेता तरुण कुमार ने मुंबई के ही कलाकारों के साथ तैयार किया है। तरुण कुमार ने अनेक नाटक निर्देशित किये हैं, और क़रीब 25 फ़िल्मों में भी उन्होंने भूमिकाएँ निभाई हैं।
 
इसी कार्यक्रम में बलराज साहनी के जीवन पर केन्द्रित एक श्रव्य-दृश्य प्रस्तुति भी दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि बलराज साहनी और अमृतलाल नागर न केवल भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के साथ 1940 और 1950 के दशक में बहुत सक्रियता से जुड़े थे, दोनों ने फ़िल्म जगत में भी उल्लेखनीय प्रसिद्धि प्राप्त की और दोनों बहुत अच्छे दोस्त और बहुत अच्छे लेखक भी थे।
 
बलराज साहनी का जन्म शताब्दी वर्ष भी अभी दो वर्ष पहले ही गुजरा है। बलराज साहनी पर यह 50 मिनट की प्रस्तुति इंदौर इप्टा द्वारा जया मेहता के निर्देशन में  तैयार की है और इसके देश में अनेक स्थानों पर प्रदर्शन भी हो चुके हैं।
 
इस अवसर पर अमृतलाल नागर जी की पुत्रवधू श्रीमती विभा नागर भी लखनऊ से और उनकी पौत्री प्रोफेसर ऋचा नागर भी अमेरिका से इंदौर आई हैं। कार्यक्रम में वे भी अपने पिता शरद नागर द्वारा लिखी किताब के कुछ हिस्सों का वाचन करेंगी। 

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