उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले पुलिस मुख्यालय भोपाल से परिपत्र जारी होकर छूट मिली थी कि थानों पर जनसहयोग या निजी कंपनियों की मदद से कुछ कार्य कराए जा सकते हैं लेकिन ये पाया गया है कि जिले के कुछ थानों और अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) कार्यालयों के बोर्ड पर बड़े विज्ञापनों के साथ थानों के नाम लिखे गए हैं।