वेबदुनिया से बातचीत में किसान मिश्रीलाल राजपूत कहते हैं कि कुछ समय पहले वह बनारस के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वेजिटेबल रिसर्च सेंटर में घूमने गए थे। इसी दौरान वहां पर उन्हें लाल भिंडी से जुड़ी जानकारी हासिल की और एक किलो लाल भिंडी के बीज वहां से ले आए, इसके लिए उन्होंने करीब 2400 रुपए अदा किए।
दरअसल किसान मिश्रीलाल के पास कुल 5 एकड़ जमीन है जिसमें वह अलग-अलग फसलों की खेती करते है। इस बार जुलाई में उन्होंने प्रयोग के तौर पर पहली बार उन्होंने आधे एकड़ में लाल भिंडी की फसल लगाई है। सामान्य हरी भिंडी की तुलना में लाल भिंडी की फसल भी 45 से 50 दिन में तैयार हो जाती है। एक पौधे में करीब 50 भिंडी तक पैदा होती है। 1 एकड़ की बात की जाए तो सामान्य तौर पर 40 से 50 क्विंटल तक उत्पादन होता है, अगर मौसम ने साथ दिया तो यह फसल की पैदावर 80 क्विंटल तक हो जाती है।
लाल भिंडी की खास बात यह है कि इसमें मच्छर, इल्ली और अन्य कीट नहीं लगते। दरअसल हरे रंग की सब्जियों में क्लोरोफिल पाया जाता है,जिसे कीट पसंद करते हैं इस भिंडी का रंग लाल होने से उसे यह कीट नहीं लगते दूसरी खास बात यह है कि इसमें एंथोसाइनिन नाम का खास तत्व पाया जाता है, जो गर्भवती महिलाओं, बच्चों के मानसिक विकास और स्किन (त्वचा) के लिए बेहद उपयोगी है। लाल भिंडी हृदय रोग, कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है।
मिश्रीलाल राजपूत कहते हैं कि वह इस फसल को सामान्य बाजार में नहीं बेचेंगे क्योंकि वहां इसकी डिमांड नहीं है, लेकिन न्यूट्रिशियन और हेल्थ के नजरिए से ये लाल भिंडी बड़े मॉल्स और सुपर मार्केट में यह आसानी से बिक जाएगी। इसकी कीमत अभी उन्होंने तय नहीं की है लेकिन मॉल में इसकी कीमत लगभग से 800 रुपए प्रति किलो है।