अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मामले में प्रस्तुत साक्ष्यों और दस्तावेजों से प्रथम दृष्टया दर्शित हो रहा है कि जहरीली गैस रिसाव में भोपाल के अंदर हजारों लोग मर रहे थे और जिले के मुखिया कलेक्टर तथा पुलिस अधीक्षक अपनी बुद्धि और पूरे सिस्टम का उपयोग, आम जनता को बचाने के बजाय एक अपराधी को भगाने के लिए कर रहे थे।