टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश में टाइगर राजधानी के तौर पर भोपाल की पहचान, पीएम मोदी ने भी दी बधाई

विकास सिंह

मंगलवार, 21 जनवरी 2025 (15:16 IST)
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते रविवार अपने मन की बात कार्यक्रम में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से सटे रातापानी टाइगर रिजर्व का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति और विरासत आस-पास के पशु-पक्षियों के साथ स्नेह से रहना सिखाती है। नए टाइगर रिजर्व की शुरुआत वनस्पति और जीव जगत के संबंधों को अधिक समृद्ध करेगा।

टाइगर राजधानी के रुप में भोपाल की पहचान- रातापानी टाइगर रिजर्व में वर्तमान में लगभग 95 से ज्यादा बाघ है, जिसके अगले 2 सालों में डेढ़ सौ तक पहुंचने की संभावना है। रातापानी टाइगर रिजर्व के दायरे में रायसेन, भोपाल और सीहोर जिले का क्षेत्र शामिल है। टाइगर रिजर्व बनने से रातापानी को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलने के साथ अब भोपाल की पहचान टाइगर राजधानी के रूप में हो रही है। देश के सभी राज्यों की राजधानियों में भोपाल ही एकमात्र ऐसी राजधानी है, जिसके आँगन में टाइगर रिजर्व विद्वमान है। इसलिए प्रदेश सरकार रातापानी टाइगर रिजर्व को सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने की दिशा में काम कर रही है।

कितना बड़ा हैं रातापानी टाइगर रिजर्व?-भोपाल, सीहोर और रायसेन तीन जिलों में फैले प्रदेश के आठवें टाइगर रिजर्व का कुल एरिया 1271.465 वर्ग किलोमीटर है। जिसमें कोर एरिया का रकबा 763.812 वर्ग किलोमीटर तथा बफर एरिया का रकबा 507.653 वर्ग किलोमीटर है। यह क्षेत्र कोर क्षेत्र के चारों ओर स्थित है और इसका उपयोग कुछ प्रतिबंधों के साथ स्थानीय समुदायों के लिए किया जा सकेगा। राजधानी भोपाल से सटे, सीहोर और रायसेन के क्षेत्र होने और आबादी के कारण गाँव के लोगों को परेशानी न हो, इसके लिये रातापानी अभयारण्य के अंतर्गत आने वाले गाँवों को कोर क्षेत्र की जगह बफर क्षेत्र में रखा गया है।

रातापानी टाइगर रिजर्व बनने से टाइगर रिजर्व का सम्पूर्ण कोर क्षेत्र रातापानी टाइगर अभयारण्य की सीमा के भीतर है। इससे ग्रामीणों के वर्तमान अधिकार में कोई परिवर्तन नहीं होगा। रातापानी टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र की सीमा के अंदर स्थित राजस्व ग्राम झिरी बहेड़ा, जावरा मलखार, देलावाड़ी, सुरई ढाबा, पांझिर, कैरी चौका, दांतखो, साजौली एवं जैतपुर का रकबा 26.947 वर्ग किलोमीटर राजस्व भूमि इन्क्लेव के रूप में बफर क्षेत्र में शामिल है। टाइगर रिजर्व में भौगोलिक रूप से स्थित, उक्त 9 ग्राम अभयारण्य की अधिसूचना में कोर क्षेत्र में शामिल नहीं हैं।

रातापानी हमेशा से बाघों का घर रहा है। सरकार ने रातापानी अभयारण्‍य को रातापानी टाइगर रिज़र्व में अपग्रेड किया गया है। इससे भारत में ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व में भोपाल को टाइगर की राजधानी के रूप में एक नई पहचान मिलेगी। वहीं टाइगर स्टेट में मध्यप्रदेश में रातापानी अभयारण्‍य में बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है, जिससे यह क्षेत्र बाघों का एक महत्वपूर्ण बसेरा बन गया है। वर्ष 1976 में रातापानी को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था। रातापानी न केवल बाघों बल्कि कई अन्य वन्य जीवों का भी घर है। यह एक ऐसा स्थान है, जहां लोग प्रकृति की विविधता को करीब से देख सकेंगे।

भोपाल में पर्यटन के नए अवसर?-रातापानी के टाइगर रिज़र्व बनने के कारण भोपाल में पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ नए अवसर पैदा होंगे, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। टाइगर रिजर्व से भोपाल में पर्यटन गतिविधियों के लिए बड़ी संभावना निर्मित हुई है। होटल, लॉज और अन्य पर्यटन सुविधाओं से रोजगार, कौशल और उद्यमशीलता के अवसर उपलब्ध होंगे।

रातापानी टाइगर रिजर्व के जरिये भोपाल सहित सीहोर और रायसेन जिलों में पर्यटन से जुड़ी गतिविधियों का विस्तार होगा। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मुताबिक रहस्य रोमांच, प्रकृति, इतिहास, संस्कृति, पुरातत्व सभी कुछ रातापानी टाइगर रिजर्व में उपलब्ध है। भोपाल का सौभाग्य है कि "वन-विहार" बड़े तालाब के पास है और रातापानी टाइगर रिजर्व भी भोपाल के पड़ौस में आ गया है। टाइगर रिजर्व, वन्य प्राणियों के संरक्षण के साथ स्थानीय निवासियों को होम-स्टे और अन्य गतिविधियों के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने में भी सहायक होगा।

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