आईआईटी के रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर संजय के. सिंह ने गुरुवार को बताया, हम पानी में प्लास्टिक के कचरे को बारीक टुकड़े, उत्प्रेरक और अन्य पदार्थ डालकर 160 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म करते हैं। इस रासायनिक प्रक्रिया से निकलने वाली 100 प्रतिशत शुद्ध हाइड्रोजन गैस को इकट्ठा कर लिया जाता है।
केंद्र सरकार ने इस साल की शुरुआत में 19744 करोड़ रुपए का प्रावधान करते हुए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन अभियान को हरी झंडी दी थी ताकि भारत को इस ईंधन के उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाया जा सके। इस महत्वाकांक्षी अभियान के तहत वर्ष 2030 तक देश में कम से कम 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन बनाने की सालाना क्षमता विकसित करने का लक्ष्य तय किया गया है।