दरअसल इस कंटेनर को इससे पूर्व पेटलावद में ही रोक लिया गया था, लेकिन कुछ रुपयों के लालच में इसे टोल के पार खड़ा करवाया गया ताकि कोई सेटिंग न बिगाड़े। इसके बाद लेन-देन की बातचीत शुरू हुई। इस बीच गोसेवकों को पता चल गया कि टोल के आगे सुनसान जगह पर खड़े कंटेनर में गायें हैं और वे मरी हुई भी हो सकती हैं, क्योंकि कंटेनर से बहुत बदबू आ रही है।
उधर सेटिंग पूरी होने से पहले ही अधिकारियों के पास फोन पहुंच गए, लेकिन अधिकारियों को यह बताया गया कि कोई खास मामला नहीं है। इधर सतर्क गोसेवकों ने थांदला पुलिस को सूचना दे दी। थांदला का मीडिया भी मुस्तैद हुआ। थांदला पुलिस और मीडिया के लोगों के आने से पहले ही कंटेनर के चालक-क्लीनर फरार हो गए। थांदला पुलिस ने कंटेनर को अपने कब्जे में लेकर उसे पेटलावद पहुंचाया। इसके बाद पेटलावद पुलिस ने कायमी की। कंटेनर कहां से आ रहा था, यह पता नहीं चल पाया।
इस कंटेनर को पकड़वाने और उसके बाद उसमें से गायों को निकलवाने में थांदला और पेटलावद के पत्रकारों, पेटलावद के विकास वैष्णवी प्रिंटर, महेंद्र अग्रवाल और नगर के गोसेवकों ने सक्रिय भूमिका निभाई। गायों को कंटेनर से निकलवाने में भी सभी ने काफी मेहनत की।
इधर बुधवार को जब पेटलावद के लोगों को रात्रि के घटनाक्रम की जानकारी मिली तो उन्होंने पुलिस के रवैये के खिलाफ थांदला-बदनावर मार्ग पर चक्काजाम कर दिया, जो दो घंटे से अधिक समय तक चला। सूचना मिलने पर पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। एडीशनल एसपी सुंदरसिंह कनेश की समझाइश पर लोगों ने चक्काजाम समाप्त किया।