'मृत्यु उत्सव' मनाते हुए निकाली शवयात्रा...

गाडरवाड़ा। किसी गली-चौराहे से जब भी कोई अर्थी निकलती है तो साथ चल रहे लोगों के साथ राहगीर भी गमजदा हो जाते हैं, पर जब नाचते-गाते अर्थी निकले तो चौंकना लाजमी है।
एक ऐसा ही वाकया नजर आया मध्यप्रदेश नरसिंहपुर जिले के गाडरवाड़ा में जहां ओशो के बालसखा मित्र की मौत के बाद स्थानीय ओशो अनुयायियों के साथ विदेशी भक्त भजन-कीर्तन पर जमकर झूमे और 'मृत्यु उत्सव' मनाते हुए श्‍मशान घाट तक पहुंचे।
ओशो के बचपन के मित्र ओशो संन्यासी कनछेदीलाल शुक्ल की मृत्यु हो गई, जिनके पार्थिव शरीर को पहले स्थानीय ओशो आश्रम ले जाया गया, जहां 'मृत्यु उत्सव' मनाया गया। इसी बीच हॉलैंड से आए 8 महिला-पुरुष सहित विदेशी दल भी जमकर नाचे और हिन्दू रीति-रिवाज अनुसार, अंतिम यात्रा में शामिल होकर अंतिम संस्कार तक मौजूद रहे और भजनों पर झूमते रहे।

शहरवासियों के लिए अंतिम यात्रा का यह दृश्य कौतुहल का विषय बना रहा। सनद रहे कि गाडरवाड़ा ओशो का ननिहाल रहा है और ओशो ने बचपन के 14 वर्ष यहां बिताए हैं और यहीं मृत्युबोध किया था, इसलिए दुनियाभर से ओशो अनुयायी यहां अक्‍सर आते रहते हैं।

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