नीमच। नीमच की कनावटी उपजेल से रविवार को 4 कैदी जेल तोड़कर भाग गए। फरार हुए कैदियों में 2 राजस्थान के खूंखार सजायाफ्ता तस्कर थे जबकि 2 कैदी मप्र के थे जिसमें से 1 कैदी लूट और मर्डर का आरोपी था तो दूसरा दुष्कर्म के मामले में सजा काट रहा था।
जिला कलेक्टर अजय गंगवार ने इस मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए है। सर्कल जेल अधीक्षक ने चार प्रहरियों को निलंबित कर दिया गया और फरार कैदियों पर 50000 का जुर्माना घोषित किया गया है।
कनावटी जेल से खूंखार तस्करों के भागने का यह कोई नया मामला नहीं है। मालवा की जेलों में पनप रहे तस्करों, जेलकर्मियों और पुलिस के सिंडीकेट के चलते इस तरह की घटनाएं आम बात हैं। तस्कर जब तक चाहते हैं, जेल में बैठकर अपना कारोबार करते हैं और लंबी सजा होने पर जेल से भाग निकलते हैं।
इस संबंध में कनावटी उपजेल के जेलर आरपी वसूनिया ने बताया कि 3 से 4 बजे की दरमियानी रात्रि 4 कैदी नाहर सिंह पिता बंसीलाल बंजारा (20) निवासी ग्राम गणेशपुरा थाना भिंडर जिला उदयपुर एनडीपीएस में 10 साल की सजा, पंकज पिता रामनारायण मोंगिया (21) निवासी ग्राम नलवाई थाना बड़ी सादड़ी जिला चित्तौड़ एनडीपीएस में सजायाफ्ता, लेखराम पिता रमेश बावरी (29) निवासी ग्राम चंदवासा थाना मल्हारगढ़ जिला मंदसौर लूट और मर्डर मामले का आरोपी, दुबेलाल पिता दशरथ धुर्वे (19) निवासी ग्राम गोगरी थाना नौगांव जिला मंडला 376 में 10 वर्ष की सजा काट रहा था। ये बैरकों की सलाखें काटकर रस्सी के सहारे जेल की 22 फुट ऊंची दीवार को लांघकर जेल से भाग गए।
जेल प्रशासन को अंदेशा है कि यह रस्सी कैदियों के मददगारों ने बाहर से जेल में फेंकी थी। घटना की सूचना मिलते ही कलेक्टर अजय गंगवार, एसपी राकेश कुमार सगर सहित आला प्रशासनिक और पुलिस अफसर मौके पर पहुंचे। एसपी ने बताया कि पुलिस ने अलर्ट जारी कर दिया है और राजस्थान से लगीं तमाम सीमाओं को सील कर दिया गया है, साथ ही टोल बैरियर्स के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं। उम्मीद है कि कैदी जल्द ही पकड़े जाएंगे।
इस पूरे मामले के उजागर होने के बाद जेल प्रशासन चेता और डीजी संजय चौधरी ने इन फरार हुए कैदियों पर 50-50 हजार का इनाम घोषित किया है, वहीं डीआईजी जेल मंशाराम पटेल भी कनावटी उपजेल पहुंचे और यहां के हालात का जायजा लिया। पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस पूरे मामले में जेल प्रहरियों की मिलीभगत नहीं, लापरवाही सामने आई है और जो लोग दोषी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जबकि मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के पूर्व जिला संयोजक भानू दावे का कहना था कि जेल ब्रेक ड्रग डीलरों और जेल प्रशासन की मिलीभगत के बिना नहीं हो ही सकता। एनडीपीएस एक्ट के सजायाफ्ता कैदी काफी धनी होते हैं और यही संपन्नता संपन्न दिमाग को खरीद लेती है और उसके बाद जेल ब्रेक होता है।
उन्होंने कहा कि मालवा की जेलों के हालात बेहद नाजुक हैं। यहां ड्रग डीलरों और जेल प्रशासन के बीच सिंडीकेट बन गए हैं। इसका कारण जेलकर्मियों की लंबी पदस्थापनाएं हैं।