प्रदेश के सामाजिक न्याय विभाग ने ऐसा नियम बनाया है जिसके तहत अपने मां-बाप को बेसहारा छोड़ने वाले शासकीय कर्मचारियों के वेतन से एक निश्चित राशि अपने माता-पिता की सहायता के लिए काटी जाएगी। नियम के तहत उन सभी कर्मचारियों के वेतन से ये राशि कटेगी जिनके मां-बाप अपने बच्चों की इस बारे में शिकायत करते हैं।
सामाजिक न्याय मंत्री गोपाल भार्गव ने बताया कि अगर कोई माता-पिता शिकायत करते हैं कि उनके बच्चों ने उन्हें घर से अलग कर दिया है, बेसहारा अनाथालयों में छोड़ दिया है, तो ऐसे कर्मचारियों के वेतन से उनके माता-पिता को दिए जाने के लिए राशि काटी जाएगी। विभाग ने इस प्रकार का नियम बना लिया है।
भार्गव ने बताया कि शिकायत आने पर पहले एसडीएम के समक्ष अभिभावकों के बयान दर्ज होंगे, जांच में शिकायत सही पाए जाने पर आगे की कार्रवाई होगी। नियम की जद में सभी शासकीय, अर्द्धशासकीय, निगम-मंडलों, सहकारिता बैंकों और उनके उपक्रमों के कर्मचारी आएंगे। इसके तहत अधिकतम राशि 10 हजार रुपए और न्यूनतम उस कर्मचारी के वेतन की 10 फीसदी राशि होगी। सरकार जब इस बारे में विधेयक लाएगी, तब राज्य में रहने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को भी इस नियम में जोड़े जाने का प्रावधान किया जाएगा।
सरकार के इस नियम ने कई लोगों के मन में आशा की किरण जरूर जगाई है। भोपाल में पिछले करीब 3 दशक से छोड़ दिए गए असहाय बुजुर्गों की सेवा कर रहीं अपना घर संचालिका माधुरी मिश्रा कहती हैं कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम आने के बाद समाज में कुछ हद तक परिवर्तन देखने को मिला था। उम्मीद है कि इस नियम से भी बच्चों के मन में डर पैदा होगा।