भोपाल। मध्यप्रदेश में शराब दुकानों पर बिल देने का आबकारी विभाग का आदेश पहले दिन महज रस्मअदायगी बना नजर आया। शराब दुकानों पर बिल देने के आदेश की वेबदुनिया ने जब जमीनी हकीकत का जायजा लिया तो शराब दुकानों पर बिल बुक तो दिखाई दी लेकिन शराब खरीदने वाले लोगों में बिल को लेकर कई उत्सुकता नहीं दिखाई दी और न ही दुकानदार खुद से बिल देते हुए दिखाई दिए।
राजधानी के शाहपुरा इलाके में स्थित शराब दुकान के मैनेजर ने बताया कि उनके पास एक दिन पहले ही आबकारी विभाग से बिल बुक (केश मेमो) की प्रमाणित प्रति आ गई है और आज से शराब खरीदने आने वालों को बिल भी दिए जा रहे है।
नाम न छापने की शर्त पर वह कहते हैं कि लोग खुद ही बिल के झंझट में नहीं पड़ना चाह रहे है और बिल नहीं ले रहे है। जो भी कस्टमर बिल मांग कर रहा है उसको बिल दिया जा रहा है। शराब दुकानों पर बिल देने में व्यावहारिक समस्या पीकअवर्स (शाम) को आ रही है जब लोग बड़ी संख्या में शराब खरीदने के लिए दुकानों पर पहुंच रहे है।'वेबदुनिया' की टीम जब तक दुकान पर मौजूद रही उस दौरान शराब खरीदने आने वाले लोगों में बिल को लेकर कोई उत्साह नहीं ंनजर आया। इसके उलट लोग महंगी शराब होने के मुद्दे पर सरकार को कोसते हुए नजर आए।
वहीं शराब दुकानों पर अफसरों के नाम और नंबर लगे होने के आबकारी विभाग के आदेश को लेकर भी गफलत नजर आई। वेबदुनिया की टीम को राजधानी के अधिकांश दुकानों पर आबकारी विभाग के अधिकारियों के नंबर नहीं लगे हुए दिखाई दिए।
इसको लेकर 'वेबदुुनिया' ने जब सहायक जिला आबकारी अधिकारी सजेंद्र मोरी से बातचीत की तो वह कहते हैं कि दुकानों पर नंबर प्रदर्शित करने का आदेश नहीं था। वहीं केश मेमो पर खुद उनका ही नंबर दिया गया है और आज पहले दिन अब तक कोई शिकायत नहीं आई है। वह कहते हैं कि भोपाल की सभी 90 दुकानों पर आदेश का सख्ती से पालन कराया जा रहा है।
दरअसल प्रदेश में तय रेट से अधिक दाम पर शराब बिक्री पर नकेल कसने के लिए आबकारी विभाग ने शराब दुकानदार द्धारा ग्राहक के शराब खरीदने पर बिल (केश मेमो) देने को अनिवार्य कर दिया है। आबकारी आयुक्त की ओर से जारी निर्देश के मुताबिक प्रदेश की देशी एवं विदेशी शराब दुकानों पर आज से बिक्री की जाने वाली शराब का ग्राहक को बिल (केश मेमो) दिया जाना अनिवार्य कर दिया गया है।
इसके साथ शराब दुकानों पर आबकारी विभाग के एक अधिकारी का मोबाइल नम्बर प्रदर्शित करने के निर्देश दिए गए थे। जिससे खरीदी की गई शराब का बिल या केस मेमो नहीं मिलने पर उक्त नम्बर पर शिकायत दर्ज कराई जा सकेगी।
महंगी शराब का वेबदुनिया ने उठाया था मुद्दा- गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में शराब की तस्करी और मिलावटी शराब की ब्रिकी का सबसे बड़ा कारण शराब का सबसे महंगा होना है और इस मुद्दे को वेबदुनिया ने प्रमुखता से उठाया था। इंदौर में मिलावटी शराब पीने से सात लोगों की संदिग्ध मौत के साथ-साथ मंदसौर में भी जहरीली शराब पीने से 6 लोगों की मौत हो गई थी। इससे पहले मुरैना,उज्जैन और रतलाम में जहरीली शराब ने कई की जान ले ली थी। अगर प्रदेश में पिछले एक साल में जहरीली शराब पीने से बड़ी संख्या में मरने वाले मामलों पर गौर करें तो मुरैना में 28, उज्जैन में 16 और रतलाम में करीब 11 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो चुकी है।