Shivraj Singh Chouhan: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि त्रिस्तरीय पंचायत व राज्य संस्थाओं के प्रतिनिधि ग्रामीण विकास योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित करें। मनरेगा फंड सहित अन्य योजनाओं की राशि का सदुपयोग करते हुए लोगों की जिंदगी को आसान बनाने का कार्य किया जाए। 'संबल' योजना सहित अन्य योजनाओं का लाभ जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचे इसके लिए सजग और सक्रिय रहें।
चौहान ने आज मंगलवार को समत्व भवन, मुख्यमंत्री निवास से वीसी द्वारा सिंगल क्लिक के माध्यम से मुख्यमंत्री जन-कल्याण (संबल) योजना के अंतर्गत प्रदेश के 26 हजार 150 श्रमिकों को 583.36 करोड़ रुपए की राशि का अंतरण किया और पंचायतराज प्रतिनिधियों से संवाद भी किया। संवाद में प्रदेश के सरपंच, सचिव और रोजगार सहायकों सहित जिला एवं जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी भी वर्चुअली जुड़े।
चौहान ने कहा कि श्रमिक परिवारों को प्राप्त सहायता राशि उनके लिए संबल साबित होगी। जिला पंचायत और जनपद पंचायत के अध्यक्षों, उपाध्यक्षों, उपसरपंच, पंच आदि के मानदेय में लगभग 3 गुना वृद्धि की जा रही है। इसके साथ ही वाहन भत्ता भी बढ़ाया जाएगा। शीघ्र ही इस संबंध में आदेश जारी होंगे। निर्विरोध चुनी गई 705 पंचायतों को 55 करोड़ 20 लाख रुपए की राशि जारी कर दी गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज 'संबल' योजना में दी गई राशि से मजदूर परिवारों की आजीविका की गाड़ी चल सकेगी। 'संबल' योजना की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी। 16 मई 2022 को मुख्यमंत्री जनकल्याण ('संबल 2.0') लागू की गई। गरीब श्रमिकों को रोटी, कपड़ा और मकान के अलावा संकट की स्थिति में आर्थिक सहायता मिले, इस उद्देश्य से यह योजना प्रारंभ की गई थी।
उन्होंने कहा कि परिवार में किसी के बीमार होने, प्रसूति, दिव्यांगता और असामयिक मृत्यु पर परिवार को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता था। पं. दीनदयाल उपाध्याय के दरिद्र नारायण के सेवा के विचार को क्रियान्वित करने के लिए योजना प्रारंभ की गई। पूर्व सरकार ने योजना में पात्र हितग्राहियों के नाम काटने और योजना को बंद करने का श्रमिक विरोधी कार्य किया। हमने इसे पुन: प्रारंभ कर नए आयाम जोड़े। अभियान संचालित कर 'संबल'-2.0 में 17 लाख पात्र नाम जोड़े गए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना को प्रारंभ करने का विचार ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती और शिशुवती माताओं की तकलीफ देखने के पश्चात उनके मन में आया था। 'संबल' योजना श्रमिक परिवारों की महिलाओं को प्रसूति के पूर्व 4 हजार और प्रसूति के पश्चात 12 हजार रुपए की राशि प्रदान कर राहत देती है। दुर्घटना में असामयिक मृत्यु पर 4 लाख रुपए और सामान्य मृत्यु पर 2 लाख रुपए का प्रावधान है। स्थायी अपंगता पर 2 लाख और सामान्य अपंगता पर भी 1 लाख रुपए का प्रावधान है। अंतिम संस्कार के लिए 5 हजार रुपए की राशि सहायता स्वरूप दी जाती है।
चौहान ने कहा कि प्रदेश में श्रमोदय विद्यालय भी संचालित हैं जिनमें पब्लिक स्कूल की तरह आवश्यक सुविधाएं हैं। विद्यार्थियों को आवास और भोजन की सुविधा उपलब्ध है। प्रदेश में 1 करोड़ 57 लाख पंजीयन किए जा चुके हैं। 'संबल 2.0' योजना में अब तक प्रदेश में 4 लाख 68 हजार से अधिक परिवारों को 4211 करोड़ रुपए से अधिक की सहायता अंत्येष्टि तथा अनुग्रह सहायता के रूप में दी जा चुकी हैं। म.प्र भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल श्रमिकों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए नए आई.टी.आई. प्रारंभ कर रहा है। यहां श्रमिकों के बच्चों को नि:शुल्क कौशल प्रशिक्षण मिलेगा। मंडल ने वर्ष 2008-09 से अब तक 5 लाख 86 हजार से अधिक परिवारों को विभिन्न योजनाओं में 35 करोड़ 77 लाख से अधिक का हितलाभ दिया है।
चौहान ने पंचायत प्रतिनिधियों से संवाद में कहा कि महात्मा गांधी नरेगा (मनरेगा) और अन्य योजनाओं के संबंध में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का विस्तृत प्रस्तुतीकरण मार्गदर्शी सिद्ध होगा। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में सभी जनप्रतिनिधियों का विशेष सहयोग आवश्यक है। राज्य सरकार ने पंचायत पदाधिकारियों के हितों की चिंता की है। मानदेय वृद्धि का निर्णय लिया गया है। हाल ही में रोजगार सहायकों का मानदेय 9 हजार से बढ़ाकर 18 हजार रुपए किया गया। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अभियान संचालित कर पुराने कार्यों को पूर्ण किया जाए। नए कार्यों के क्रियान्वयन के साथ अपूर्ण कार्यों को पूर्ण करना आवश्यक है। शीघ्र ही वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पुन: संवाद का सत्र होगा।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान ने शहरों के साथ ग्रामों के विकास पर भी पूरा ध्यान दिया है। पूर्व सरकार ने 'संबल' और मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं को बंद कर दिया था। अब सभी योजनाएं क्रियान्वित हैं और जनता को इनका लाभ मिल रहा है। अमृत सरोवरों के निर्माण से जलस्तर में वृद्धि का लाभ सिंचाई और पेयजल क्षेत्र में हो रहा है। कन्वर्जेंस से ग्रामीण क्षेत्रों में कई कार्य हो रहे हैं। मध्यप्रदेश अनेक योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रथम है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल भी उपस्थित थे।
श्रममंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने 'संबल' योजना और विभागीय गतिविधियों की जानकारी दी। कर्मकार मंडल के अध्यक्ष भगवानदास गोंडाने, सुल्तान सिंह शेखावत, श्रम विभाग के प्रमुख सचिव सचिन सिन्हा उपस्थित थे। अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मलय वास्तव ने प्रेजेंटेशन में बताया कि प्रदेश में 1 अप्रैल 2023 से मजदूरी की पुनरीक्षित दर 221 रुपए लागू है। जून माह में मध्यप्रदेश को योजना की 2 किस्तें प्राप्त हो चुकी हैं। समय पर राशि प्राप्त होने से श्रमिकों के भुगतान में आसानी हुई है। मजदूरी के पुराने भुगतान भी लंबित नहीं हैं।
प्रदेश में वर्तमान में 11 लाख 75 हजार 792 कार्य चल रहे हैं। इनमें हितग्राहीमूलक कार्यों की संख्या 8 लाख 73 हजार 163 है। सामुदायिक कार्यों की संख्या 3 लाख 2 हजार 629 है। इन कार्यों में चेक डेम, स्टॉपडेम, अमृत सरोवर आदि शामिल हैं। सुदूर खेत सड़क के 11 हजार 685 कार्यों पर 1 हजार 523 करोड़ रुपए की राशि व्यय हुई है। पूर्व वर्षों के करीब ढाई हजार सुदूर खेत सड़क (पुल-पुलिया सहित) कार्य भी पूर्ण कर लिए गए हैं। 1 माह में करीब 1 हजार नवीन कार्य स्वीकृत किए गए हैं। मनरेगा में इस वित्त वर्ष में समय से मजदूरी का भुगतान प्रतिशत 99.43 है। प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवर निर्माण के लक्ष्य के अनुसार प्रदेश में 5,936 अमृत सरोवरों का कार्य शुरू हुआ। अब तक 4,806 कार्य पूरे हो गए हैं। मध्यप्रदेश, देश में इस कार्य में द्वितीय स्थान पर है।
जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा उपसरपंच एवं पंच के मानदेय में लगभग 3 गुना वृद्धि की जाएगी।
जिला पंचायत अध्यक्ष का मानदेय 11 हजार 100 रुपए से बढ़ाकर 35 हजार रुपए तथा वाहन भत्ता 43 हजार से बढ़ाकर 65 हजार रुपए किया जाएगा। अब जिला पंचायत अध्यक्ष को 54 हजार 100 रुपए प्रतिमाह के स्थान पर 1 लाख रुपए प्रतिमाह मानदेय, वाहन भत्ता सहित मिलेगा।
जिला पंचायत उपाध्यक्ष का मानदेय 9 हजार 500 रुपए से बढ़ाकर 28 हजार 500 रुपए तथा वाहन भत्ता 9 हजार से बढ़ाकर 13 हजार 500 रुपए किया जा रहा है। अब जिला पंचायत उपाध्यक्ष को 18 हजार 500 रुपए प्रतिमाह के स्थान पर 42 हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय वाहन भत्ता सहित मिलेगा।
जनपद पंचायत अध्यक्ष का मानदेय 6 हजार 500 रुपए से बढ़ाकर 19 हजार 500 रुपए प्रतिमाह किया जा रहा है। जनपद पंचायत उपाध्यक्ष का मानदेय 4 हजार 500 रुपए से बढ़ाकर 13 हजार 500 रुपए प्रतिमाह किया जा रहा है। सरपंच का मानदेय 1 हजार 750 रुपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 4 हजार 250 रुपए प्रतिमाह किया गया है। उपसरपंच एवं पंच को 600 रुपए वार्षिक मानदेय मिलता है जिसे 3 गुना बढ़ाकर 1800 रुपए किया जा रहा है।(वार्ता)