मध्य प्रदेश में अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जिस तरह अपने सड़क पर उतरने वाले बयान पर अड़े हुए है उसके कई सियासी मयाने तलाशे जा रहे है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार बने एक साल से अधिक का समय हो गया ज्योतिरादित्य सिंधिया एक नहीं कई मौकों पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस का वनवास खत्म करने और विधानसभा चुनाव में युवा वोटरों को कांग्रेस की तरफ मोड़ने में अहम भूमिका निभाने वाले सिंधिया कांग्रेस सरकार बनने के बाद पूरी तरह हशिए पर दिखाई दे रहे है। लोकसभा चुनाव में अपने पांरपरिक सीट हार का सामने करने वाले सिंधिया पिछले कई दिनों से अपनी ही पार्टी में बेगाने से दिखाई देने लगे है।
मध्य प्रदेश में सिंधिया समर्थक अपने महाराज को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे है लेकिन दबाव की यह राजनीति चुनाव होने के सवा साल बाद भी कामयाब नहीं होती दिखती और मुख्यमंत्री कमलनाथ सत्ता और संगठन दोनों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए है।
ऐसे में पिछले दिनों हुए सियासी घटनाक्रम के बाद अब यह चर्चा जोर शोर से चल रही है कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने पिता की तरह अपनी नई पार्टी बनाएंगे। अगर कांग्रेस और सिंधिया परिवार के रिश्ते के इतिहास को देखे तो यह काफी उतार –चढ़ाव भरा हुआ है।
1993 में जब मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार थी तब माधवराव सिंधिया ने पार्टी में उपेक्षित होकर कांग्रेस को अलविदा कहकर अपनी अलग पार्टी मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस बनाई थी,हालांकि बाद में वह कांग्रेस में वापस लौट गए थे। वहीं इससे पहले 1967 में जब मध्य प्रदेश में डीपी मिश्रा सरकार थी तब कांग्रेस में उपेक्षित होकर राजमाता विजयाराजे सिंधिया कांग्रेस छोड़कर जनसंघ से जुड़ गई थी और जनसंघ के टिकट पर गुना लोकसभा सीट से चुनाव भी जीतीं थी।
अगर नजर मध्य प्रदेश के वर्तमान सियासी परिदृश्य पर डाले तो सिंधिया समर्थक इन दिनों खुलकर अपने महाराज की उपेक्षा का आरोप लग रहे है। बीते दिनों सिंधिया के कट्टर समर्थक और ग्वालियर जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व महामंत्री ने सोशल मीडिया पर की गई एक पोस्ट ने सिंधिया की अलग पार्टी बनाने की सियासी चर्चाओं के बाजार को और गर्म कर दिया है। सिंधिया के करीबी ने लिखा कि शायद मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री ने ग्वालियर में जिस प्रकार का तंज सिंधिया पर कसा है मुझे इतिहास दोहराता दिखाई दे रहा है 1967 और 1993 ?
ठीक इस तरह सिंधिया समर्थक और महिला कांग्रेस की प्रदेश महासचिव रुचि राय ठाकुर ने कहा कि लगातार सिंधिया जी को इग्नोर किया जा रहा है जबकि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाने में पूरा कैंपेन ज्योतिरादित्य सिंधियाको केंद्र में रखकर बनाया गया था। वह कहती हैं कि अगर आज सर्वे कराए तो सभी लोग चाहेंगे कि महाराज जी अलग पार्टी बनाए और जो बड़े महाराज की तरह अलग पार्टी बनाए।