मामला हाईप्रोफाइल होने की वजह से मध्यप्रदेश सरकार ने प्रकरण का अनुसंधान सीबीआई को सौंप दिया था। सीबीआई ने जांच कर इंदौर की तत्कालीन सीबीआई न्यायाधीश शुभ्रा सिंह की कोर्ट में इस मामले में चालान पेश किया। 10 जनवरी 2011 को न्यायाधीश शुभ्रा सिंह ने इस केस को कमिट करते हुए इस केस को सुनवाई के लिए भिंड सत्र न्यायालय को सौंप दिया।
सीबीआई ने न्यायाधीश शुभ्रा सिंह के इस आदेश को चुनौती देते हुए 2011 में सीबीआई ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की। इसमें कहा गया कि सीआरपीसी के प्रावधानों के मुताबिक इस मामले की सुनवाई इंदौर के सीबीआई कोर्ट में ही होना चाहिए। जिस पर शनिवार को न्यायाधीश वेदप्रकाश शर्मा की बेंच में याचिका की सुनवाई हुई।