• आदिवासियों को कार्ड देंगे जिससे कि वे 10 हजार तक जरूरत पड़ने पर निकाल सकेंगे।
• साहूकारों के पास आदिवासियों की गिरवी जमीन, जेवर व सामान उन्हें लौटाना होंगे।
• अब जनजातीय कार्य विभाग अब आदिवासी विकास विभाग होगा।
• आदिवासी क्षेत्रों में 7 नए खेल परिसर खोले जाएंगे।
• आदिवासी महापुरुषों की याद में जबलपुर में संग्रहालय व स्मारक बनाएंगे।
• वनग्राम की परंपरा खत्म कर राजस्व ग्राम कहलाएगी।
• भोजन के लिए बर्तन भी उपलब्ध कराएंगे।
• हर हाट बाजार में ATM की सुविधा होगी।
मुख्यमंत्री की इस घोषणा को आदिवासी वोट बैंक को साधने की बड़ी कवायद के तौर पर देखा जा सकता है। आदिवासी वोट बैंक, जो एक समय कांग्रेस का सबसे मजबूत वोट बैंक माना जाता था, उसमें बीते चुनाव में भाजपा ने तगड़ी सेंध लगा दी है। ऐसे में जब आने वाले समय में आदिवासी सीट झाबुआ में विधानसभा का उपचुनाव होने जा रहा है तब इसे आदिवासी वोट बैंक को कांग्रेस की तरफ फिर से मोड़ने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।