भोपाल। लोकसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश की सियासत एक बार फिर गर्मा गई है। विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद भाजपा ने अब मिशन 29 पर टारगेट कर दिया है। भाजपा इस बार कमलनाथ के गढ़ मानी जाने वाली छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। ऐसे में प्रदेश की राजनीति में कमलनाथ को लेकर अटकलें गर्म है। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कमलनाथ के लगातार भाजपा नेताओं से मिलने के बाद उनके अगले कदम को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे है तो आज कमलनाथ का छिंंदवाड़ा में दिया एक बयान काफी सुर्खियों में है।
शनिवार को छिंदवाड़ा में मीडिया से बात करते हुए कमलनाथ ने कहा कि सब स्वतंत्र है कोई भी किसी पार्टी से बंधा नहीं है। दरअसल मीडिया ने कमलनाथ ने आचार्य प्रमोद कृष्णम के भाजपा में शामिल होने की चर्चाओं को लेकरर कांग्रेस के बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने को लेकर जब सवाल किया तो उन्होंंने दो टूक शब्दों में कहा कि सब स्वतंत्र है, कोई भी किसी पार्टी से बंधा नहीं है।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद अब कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। लोकसभा चुनाव को लेकर आज प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होने जा रही है, जिसमें लोकसभा सीटों के प्रभारियों, प्रदेश इलेक्शन कमेटी और लोकसभा सीटों के दावेदारों से चर्चा करेंगे। कांग्रेस एक तरफ जहां लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है,वहीं प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्रदेश से दूरी सियासी गलियारों में चर्चा के केंद्र में है।
विधनसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने एक तरह से अपने को छिंदवाड़ा तक सीमित कर लिया है। विधानसभा चुनाव के बाद कमलनाथ सिर्फ छिंदवाड़ा के कार्यक्रमों में नजर आए है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद कमलनाथ पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बना ली है और वह लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर पार्टी की बैठकों में शामिल नहीं हो रहे है। वहीं कमलनाथ की भाजपा नेताओं से मुलाकातों को लेकर भी अटकलों का बाजार गर्म है।
पीसीसी चीफ से हटाए जाने से नाराज कमलनाथ?-2018 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने वाले कमलनाथ के चेहरे पर पार्टी ने 2023 का भी विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा औऱ पार्टी 66 सीटों पर सिमट गई। विधानसभ चुनाव में पार्टी की हार के बाद कमलनाथ की संगठनात्मक क्षमता और उनके नेतृत्व पर सवाल उठने लगे थे। वहीं विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा के सीनियर नेताओं और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से कमलनाथ की मुलाकात को लेकर भी सियासी गलियारों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है।
दरअसल कमलनाथ विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने के मूड में नहीं थी और उन्होंने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरु कर दी थी। विधानसभा चुनाव में हार के बाद प्रदेश मुख्यालय में कांग्रेस उम्मीदवारों को संबोधित करते हुए कमलनाथ ने कहा था कि हम इस चुनाव में हार गये हैं। लेकिन मुझे याद है कि हम 1977 में इससे भी बुरी तरह से हारे थे। उस समय इंदिरा गांधी और संजय गांधी जैसे देश के हमारे शीर्ष नेता भी चुनाव हारे थे। पूरा माहौल कांग्रेस के खिलाफ लगता था, लेकिन हम सभी एकजुट हुये और मैदान में आये। तीन साल बाद हुये चुनाव में 300 से अधिक सीटों के साथ इंदिरा गांधी जी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी, इसी तरह हमें 4 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाना है और पूरी ताकत के साथ अपनी सरकार बनाना है।
इस बीच पार्टी हाईकमान की ओर से कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद कमलनाथ ने अपने को प्रदेश से दूर कर लिए,यहां तक वह विधानसभा सत्र में भी शामिल नहीं हुए। इतना ही नहीं जब कांग्रेस अयोध्या में राममंदिर कार्यक्रम से दूरी बना रही थी तो कमलनाथ छिंदवाड़ा में भगवान राम से जुड़े कार्यक्रम में शामिल हुए। 77 वर्षीय कमलनाथ छिंदवाड़ा से विधानसभा सदस्य चुने गए है, लेकिन उन्होंने प्रदेश की राजनीति से अपनी दूरी बना रही है। नेता प्रतिपक्ष के चुनाव के लिए हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भी कमलनाथ नहीं पहुंचे थे।
छिंदवाड़ा पर कमलनाथ का फोकस-पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपना पूरा फोकस छिंदवाड़ा पर कर दिया है। वर्तमान में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ छिंदवाड़ा से सांसद है और कांग्रेस विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा जिले की सभी 6 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सिर्फ छिंदवाड़ा सीट पर जीत हासिल की थी। ऐसे में अब छिंदवाड़ा लोकसभा सीट प्रदेश में सबसे हॉट सीट बन गई है। भाजपा ने इस बार प्रदेश में सभी 29 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में अब यह सवाल उठने लगा है कि छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव कौन लड़ेगा।
कमलनाथ की निष्ठा पर उठ चुके है सवाल?- कमलनाथ की निष्ठा पर उनके ही पार्टी के नेता सवाल उठा चुके है। पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी के नेशनल मीडिया पैनालिस्ट आलोक शर्मा ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का जिक्र करते हुए कमलनाथ पर सवाल उठाते हुए कहा था कि किस तरह से उन्होंने हवाई जहाज में एक महिला पत्रकार को इंटरव्यू दिया, वो इंटरव्यू बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण था और पार्टी ने भी उस पर सवाल उठाया था। मुझे नाम लेने में कोई गुरेज नहीं है,वह व्यक्ति कमलनाथ हैं और पिछले पांच-छह सालों में उनके जैसे क्रियाकलाप रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि कहीं उनके बीजेपी से सांठ-गांठ तो नहीं हैं। कहीं वो चाहते तो नहीं थे कि कांग्रेस की सरकार आए। हमारे वरिष्ठ नेताओं की गलती है कि इस व्यक्ति को पहचाना नहीं गया. मध्य प्रदेश में उनके राज में क्यों सरकार गिरी, इसका आकलन होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ उसके बाद तमाम घटनाएं हुईं, जिसमें इस व्यक्ति ने इतना ज्यादा अहंकार दिखाया, फिर भी समझ नहीं आया। अखिलेश-वखिलेश जैसे बयान दिए गए, मगर एक व्यक्ति के अहंकार ने जिस तरह से पूरे चुनावी माहौल को बदला, वो बेहद ही अहंकारपूर्ण है।
हलांकि पार्टी ने कमलनाथ की निष्ठा पर सवाल उठाने पर आलोक शर्मा को कारण बताओ नोटिस थमा दिया था। एक तरफ जहां कमलनाथ को उनके घर के अंदर चुनौती मिल रही है वहीं दूसरी ओर भाजपा नेताओं के सुर कमलनाथ के लिए कुछ नरम पड़ते हुए दिख रहे है। प्रदेश भाजपा के नेता जो कमलनाथ के खिलाफ मुखर होकर बयान देते रहते थे वहा इन दिनों चुप्पी साधे हुए है। ऐसे में मध्यप्रदेश की राजनीति में कमलनाथ का अगला कदम क्या होगा इस पर सबकी निगाहें लगी हुई है।