हिंसक हुआ किसान आंदोलन, पुलिस ने की फायरिंग

रविवार, 4 जून 2017 (00:40 IST)
भोपाल/ इंदौर। मप्र में किसानों की हड़ताल के दूसरे दिन मालवा-निमाड़ अंचल में न सिर्फ दूध और सब्जियों की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई, बल्कि उनकी कीमतें भी बढ़ गईं। दूध और सब्जियों की बिक्री पुलिस की निगरानी में करनी पड़ रही है। किसानों का यह आंदोलन हिंसक रूप लेता जा रहा है। इंदौर के बिजलपुर गांव में भी किसानों और पुलिस के बीच हुई बहुत जोरदार झड़प हुई। पुलिस की ओर आंसू गैस के गोले छोड़े गए। आंदोलनकारियों को काबू में करने के लिए पुलिस को फायरिंग भी करनी पड़ी। कनाड़िया, सांवेर क्षेत्रों में भी हंगामा हुआ।

प्रदेश के अंचलों से हिंसा की खबरें आ रही हैं। पुलिस को आंदोलनकारियों को काबू में करने के लिए आंसूगैस का प्रयोग करना पड़ा। उधर भोपाल में मप्र के मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने प्रदेश में कानून-व्यवस्था को कायम रखने की दिशा में कलेक्टरों को आवश्यक निर्देश दिए। आंदोलन का असर दूध और सब्जियों के दामों पर भी पड़ रहा है। सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं, जिससे आमजन परेशान हो रहा है। प्रदेश के किसान कर्जमाफी, फसलों के उचित दाम सहित कई अन्य मांगों को लेकर गुरुवार से हड़ताल पर हैं। आवश्यक चीजों की आपूर्ति करने के सरकार के प्रयासों के बावजूद पश्चिम मप्र में लोगों को बाजार में दूध और फल-सब्जियों की कमी का सामना करना पड़ा रहा है।
वाहनों में लगाई आग : धार के सरदारपुर कस्बे में आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया, जबकि झड़प में कई लोग घायल हो गए। 10 दिनी हड़ताल के दूसरे दिन से ही हालात बिगड़ने लगे। बाजारों तक सब्जी और घरों तक पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं पहुंच पाया, जिसके कारण कई जिलों में लोगों को दूध के लिए परेशान होना पड़ा। व्यापारियों और किसानों के बीच झड़प होने के दौरान आक्रोशित कथित किसान पक्ष ने लगभग 6 से अधिक दोपहिया वाहनों में आग लगा दी। रतलाम जिले के ताल में गोली चलने की खबर है।

धामनोद थाना प्रभारी कैलाश बारिया ने बताया कि इस संबंध में अज्ञात किसान पक्ष के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर, उनकी तलाश शुरू कर दी गई है। बारिया ने बताया कि प्राथमिक तौर पर घटना का कारण किसानों द्वारा स्थानीय खाद्य एवं दुग्ध सामग्रियों के विक्रेताओं की दुकानों को बंद करवाने के दौरान हुई झड़प के रूप में सामने आया है। अभी आरोपियों की पहचान नहीं हो सकी है।

सब्जी विक्रेता और किसानों में झड़प : आदिवासी बहुल जिले झाबुआ के खवाशा क्षेत्र में किसानों द्वारा सब्जी विक्रेताओं को सब्जी बेचने से रोकने के चलते सब्जी विक्रेता और किसानों के बीच झड़प हुई। इसी के साथ खंडवा जिले में भी दूध की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई, वहीं मंदसौर में जिला प्रशासन को डेयरी से प्राप्त हुए 40,000 लीटर दूध को लोगों में वितरित करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। 
 
 
सड़कों पर बहाया दूध : धार जिले में तीन स्थानों पर किसानों ने दूध ले जा रहे हॉकरों को रोककर उनका दूध सड़क पर बहा दिया, वहीं धार जिले के बिड़वल में किसानों ने आंध्रप्रदेश से आम भरकर मंदसौर जा रहे ट्रक के आम सड़क पर बिखेर दिए। इसके बाद सड़क से निकल रहे लोग बिखरे आमों को समेटकर अपने-अपने घर चलते बने। इस घटना को लेकर बिड़वल पुलिस थाने में आरोपी किसानों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।


इंदौर में तैनात 500 जवान : इंदौर  में लोगों को दूध और सब्जियों की आपूर्ति के लिए पुलिस ने लगभग 500 जवानों को जगह-जगह तैनात किया है। बाजार में दूध और सब्जियों की कमी से शहर के लोग परेशान हुए। किसान आंदोलन का असर अब प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी नजर आने लगा है। किसान संगठनों द्वारा प्रदेश में 10 दिन तक चलने वाले विरोध आंदोलन के कारण भोपाल में भी दूध और फल-सब्जियों की आपूर्ति में कमी हुई और इनके दाम भी बढ़ गए।

आरएसएस के किसान संगठन ने किया समर्थन :  राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की शाखा भारतीय किसान संघ और कांग्रेस ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है। प्रदेश के किसान संगठन कृषि उत्पादों के उचित मूल्य सहित 19 अन्य मांगों के समर्थन में तीसरे दिन भी आंदोलन की राह पर हैं।
 
दोगुने हुए सब्जियों के दाम : देवास में भी किसान आंदोलन के कारण दूध की आपूर्ति बूरी तरह प्रभावित हुई है। और सब्जी बाजार भी पूरी रह बंद रहे। जिले के चापड़ा इलाके में किसानों और सब्जी विक्रेताओं के बीच झड़प भी हुई। नीमच जिले में दूध और सब्जियों के दाम लगभग दोगने हो गए हैं। भिंडी और टमाटर के दाम 20 से बढ़कर 40 रुपए प्रति किलो हो गए हैं वहीं दूध 40 रुपए से बढ़कर 60 रुपए प्रति लीटर हो गया।
 
हिंसा का विरोध : भारतीय किसान संघ, इन्दौर-उज्जैन संभाग के कोषाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण पटेल ने कहा कि हम किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन का समर्थन करते हैं लेकिन उनके द्वारा सड़क पर की जा रही हिंसा का कड़ा विरोध करते हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक मुकेश नायक ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि प्रदेश के किसान बहुत परेशान और गुस्से में हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसान सरकार की नीतियों से त्रस्त हो गए हैं और उनका यह आंदोलन स्वस्फूर्त है। मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने आज प्रदेश के सभी जिलों में आयोजित कर किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए प्रदेश सरकार की आलोचना की।
 
बहकावे में न आएं : इस बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को रिझाने की कोशिश करते हुए कहा कि सरकार उनके साथ है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे स्वार्थी तत्वों के बहकावे में न आए तथा जो भी मुद्दे हैं उन्हें आपसी चर्चा से सुलझाया जा सकता है, क्योंकि वह किसानों की परेशानियां समझते हैं।
 
कलेक्टरों को आवश्यक निर्देश : प्रदेश के मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने कानून-व्यवस्था को कायम रखने की दिशा में कलेक्टरों को आवश्यक निर्देश दिए। सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कलेक्टरों से जिलों की जानकारी हासिल करने के बाद उन्हें कानून-व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए।  उन्होंने कहा कि किसी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाए। ज्ञापन, धरना-प्रदर्शन के दौरान पर्याप्त सतर्कता बरती जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि जिलों में किसानों के साथ बातचीत कर स्थानीय समस्याओं का निराकरण किया जाए। नागरिकों को दूध एवं आवश्यक सामग्री की आपूर्ति में दिक्कत नहीं हो, इसके लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं की जाएं। (एजेंसियां)

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