मराठी नहीं बोलने के कारण एक दुकानदार पर हमले के बाद बढ़ती राजनीतिक सरगर्मी के बीच ठाणे जिले के मीरा भयंदर इलाके में मराठी 'अस्मिता' की रक्षा के लिए मंगलवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और कुछ अन्य संगठनों द्वारा आयोजित मार्च में सैकड़ों लोग शामिल हुए।
सड़कों पर हुए भारी नाटक और पुलिस द्वारा कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने के बीच शिवसेना (उबाठा) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता एवं कार्यकर्ता भी प्रदर्शन में शामिल हुए। दोपहर बाद प्रदर्शन स्थल का दौरा करने वाले शिवसेना मंत्री प्रताप सरनाईक को प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया और वहां से जाने को कहा।
अधिकारियों ने बताया कि मराठी एकीकरण समिति के तत्वावधान में मनसे और अन्य मराठी समर्थक संगठनों ने रैली का आयोजन किया था। अधिकारियों ने बताया कि हाल में मराठी नहीं बोलने पर मनसे कार्यकर्ताओं ने एक 'फूड स्टॉल' मालिक के साथ मारपीट की थी। उसके विरोध में व्यापारियों द्वारा आयोजित प्रदर्शन के जवाब में यह रैली आयोजित की गई।
हमले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया था जिसके बाद भयंदर के व्यापारियों ने हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए प्रदर्शन किया था। बाद में मनसे के सात सदस्यों को हिरासत में लिया गया था। मंगलवार की प्रस्तावित रैली से पहले ठाणे जिले के मीरा भयंदर में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। पुलिस ने रैली की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
पुलिस ने मनसे के स्थानीय नेता अविनाश जाधव को ठाणे स्थित उनके घर से तड़के करीब 3.30 बजे हिरासत में लिया। पुलिस ने सोमवार को जाधव के खिलाफ निषेधाज्ञा जारी की थी जिसके तहत उन्हें रैली में भाग लेने के लिए मीरा भयंदर में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि रैली के लिए अनुमति दी गई थी, लेकिन मनसे ने एक खास मार्ग पर जोर दिया जिससे कानून व्यवस्था की चुनौतियां पैदा हो गईं। उन्होंने कहा कि रैली आयोजित करने का कोई विरोध नहीं है। जिस मार्ग के लिए अनुमति मांगी गई थी उसके लिए मंजूरी देना मुश्किल था। पुलिस ने उनसे मार्ग बदलने का अनुरोध किया, लेकिन आयोजक एक खास मार्ग पर रैली आयोजित करने पर अड़े रहे।
फडणवीस ने कहा कि सोमवार देर रात जनसभा आयोजित करने की अनुमति मांगी गई थी, जो दे दी गई। लेकिन जब रैली की बात आई तो वे एक खास मार्ग पर जोर दे रहे थे। अगर अनुमति दी जाती तो कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती थी। पिछले कई साल से हम सभी रैलियां आयोजित कर रहे हैं और ये हमेशा पुलिस से सलाह-मशविरा करने के बाद ही की जाती हैं।
मनसे नेता संदीप देशपांडे ने हालांकि इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधा। देशपांडे ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि अगर हम रैली के लिए मार्ग बदलें तो वह अनुमति देने के लिए तैयार हैं। यह हमारी आवाज को दबाने की एक रणनीति के अलावा और कुछ नहीं है।
गृहराज्य मंत्री योगेश कदम ने कहा कि रैलियों की अनुमति देने के मामले में मराठी और गैर-मराठी समुदायों के बीच कोई भेदभाव नहीं किया गया है, लेकिन कानून और व्यवस्था से समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ऐसे प्रदर्शनों के दौरान कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
मीरा रोड के बालाजी कॉर्नर से दोपहर 12 बजे के बाद शुरू हुआ विरोध मार्च दोपहर करीब 2.30 बजे मीरा रोड रेलवे स्टेशन पर समाप्त हुआ। हालांकि, शाम करीब 4 बजे जाधव के मौके पर पहुंचने तक कई प्रदर्शनकारी स्टेशन क्षेत्र में ही रहे। सड़कों पर हुए नाटकीय दृश्यों और स्पष्ट राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद, मोर्चा आयोजकों द्वारा प्रस्तावित मूल मार्ग से ही गुजरा।
स्थिति उस वक्त तनावपूर्ण हो गई जब पुलिस ने 'मराठी अस्मिता' की रक्षा के नारे लगाने वाले प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया। उनमें से कुछ को पुलिस ने उस समय हिरासत में लिया जब वे मीडियाकर्मियों को संबोधित कर रहे थे। महिलाओं को पुलिस की वैन में ले जाने की तस्वीरें टेलीविजन चैनलों पर दिखाई गईं, जब वे पुलिस 'अत्याचार' के खिलाफ नारे लगा रही थीं। कई कार्यकर्ताओं को प्रदर्शन स्थल तक पहुंचने से रोकने के लिए एक 'बैंक्वेट हॉल' के अंदर हिरासत में रखा गया।
मराठी मुद्दे को लेकर बढ़ते समर्थन के कारण शिवसेना के मंत्री प्रताप सरनाईक ने पुलिस की आलोचना करते हुए कहा कि यह 'अनावश्यक कार्रवाई' है, जो किसी भी सरकारी निर्देश के अनुरूप नहीं है। सरनाईक ने पत्रकारों से कहा कि पुलिस की कार्रवाई पूरी तरह से गलत है। सरकार ने मराठी हितों के समर्थन में शांतिपूर्ण मोर्चा को दबाने के लिए ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले पर मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे।
उन्होंने कहा कि पुलिस का इस तरह का रवैया अनुचित है और अगर मराठी भाषी लोगों ने शांतिपूर्ण मोर्चा के लिए अनुमति मांगी थी तो पुलिस को उन्हें अनुमति देनी चाहिए थी। सरनाईक दोपहर में मार्च में शामिल हुए, लेकिन कुछ प्रदर्शनकारियों ने उन पर मराठी मानुष के हितों के खिलाफ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने समझाने की कोशिश की कि वह हमेशा मराठी लोगों के साथ खड़े रहेंगे, लेकिन उन्हें 'गद्दार' के नारे लगाकर चुप करा दिया गया।
महाराष्ट्र के प्राथमिक विद्यालयों में भाषा को 'थोपने' का विवाद स्थानीय निकाय चुनावों से पहले एक प्रमुख राजनीतिक विवाद बन गया है। मीरा रोड और उससे सटे भयंदर में हजारों लोग हाथों में तख्तियां, झंडे और 'मी मराठी' नारे लिखी सफेद टोपी पहनकर जोश के साथ सड़कों पर उतरे। मराठी मुद्दे से एकजुट हुई शिवसेना (उबाठा) और मनसे की कई महिलाएं, कार्यकर्ता साथ-साथ चले।
'भाषा' मुद्दे ने तब और तूल पकड़ लिया, जब भाजपा के पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने ठाकरे के चचेरे भाई को भोजपुरी बोलने के लिए मुंबई से बाहर निकालने की चुनौती दी। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोमवार को ठाकरे बंधुओं पर निशाना साधते हुए 'पटक, पटक के मारेंगे' वाली टिप्पणी करके खलबली मचा दी। (भाषा) Edited by: Sudhir Sharma