2018 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों के चयन और उसकी पूरी चुनावी रणनीति में प्रशांत किशोर की अहम भूमिका रही थी। विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल में कांग्रेस की बड़ी जीत में उम्मीदवारों का सही चयन और पार्टी का स्थानीय मुद्दों पर फोकस करना था। 2018 के चुनाव में इस इलाके में कांग्रेस ने एट्रोसिटी एक्ट और शिवराज के आरक्षण को लेकर ‘माई का लाल’ का मुद्दा जोर शोर से उठाया था जिसका सीधा फायदा कांग्रेस को चुनाव परिणाम में मिला था।
अब कोरोना के साये में होने वाले 24 सीटों के उपचुनाव में कांग्रेस की अग्निपरीक्षा ग्वालियर चंबल क्षेत्र में है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के अपने समर्थक 22 विधायकों के एक साथ भाजपा में जाने के बाद हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस की असली चुनौती उम्मीदवारों का चयन है। सिंधिया के गढ़ के रूप में पहचाने जाने वाले इन इलाकों में पार्टी ऐसे चेहरों की तलाश में जुटी हुई है जो भाजपा और सिंधिया के बनाए गए चक्रव्यूह को तोड़ सके।
बसपा की ओर से उपचुनाव में ताल ठोंकने के एलान के बाद कांग्रेस की राह और मुश्किल हो गई है। पार्टी ने पिछले दिनों 11 जिला अध्यक्षों की नियुक्त कर उपचुनाव से पहले संगठन को मजबूत करने की कोशिस तो की है लेकिन उम्मीदवारों की पहले दौर की रायशुमारी में पार्टी के अंदर बगावत के सुर भी उठने लगे है जिससे कमलनाथ के सामने चुनौतियां दोहरी हो गई है।