दरअसल, खजुराहो के बमीठा क्षेत्र के ग्राम गढ़ा निवासी 22 वर्षीय शोभा आदिवासी पति रामवतार आदिवासी ने जिला अस्पताल में एक लड़की को जन्म दिया। अस्पताल से छुट्टी के बाद महिला ससुराल न जाकर अपने मायके जाना चाहती थी। इसी बात को लेकर पहले सास और बहू में बहस हुई तो वहीँ शोभा की मां अपनी बेटी के पक्ष में कूद पड़ी और अपनी समधिन से लड़ने लगी।
शोभा ने बताया कि इसके पहले मेरा बेटा इन्हीं लोगों की हरकतों के कारण नहीं बच पाया। मेरी पहली डिलेवरी के दौरान सासुराल में भारी अत्याचार और जुल्म किए गए, जिससे मेरा बच्चा खत्म हो गया। अब मैं अपनी बेटी को नहीं खोना चाहती। अगर मैं फिर ससुराल चली गई तो मेरी बेटी भी बेटे की तरह दुनिया से चली जाएगी।