भोपाल। मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर एक बार फिर सियासत गर्माती हुई दिख रह है। ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण दिलाने के लिए राज्य सरकार पर अब सुप्रीम कोर्ट जा रही है। मंत्रालय में इसको लेकर बैठक के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हमारी सरकार ओबीसी को 27% आरक्षण देने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखेंगे, जो भी माननीय न्यायालय का निर्णय होगा वह सर्वमान्य होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के पक्ष में है और इस मुद्दें पर कई याचिकाएं लंबित हैं, जिनका जल्द निपटारा जरूरी है इसी को लेकर लॉ डिपार्टमेंट और जीएडी के साथ विस्तृत चर्चा की गई है और यह तय किया गया है कि हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में इस मामले को लेकर जल्द निपाटने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
वहीं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसलों को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे है। हमारी सरकार की मंशा स्पष्ट है ओबीसी वर्ग को पूरा न्याय मिले। जैसे ही अदालत का फैसला आएगा, हम इसे तुरंत लागू करने की व्यवस्था करेंगे।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेस नेता कमलननाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी को 27% आरक्षण देने के मामले में प्रदेश की भाजपा सरकार का ढुलमुल रवैया है। मेरी सरकार के समय कानून बनाकर ओबीसी को 27% आरक्षण दिया गया था। माननीय मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भी 27% आरक्षण के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इसके बावजूद भाजपा की सरकार सिर्फ जुमलेबाजी कर रही है और 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही।
ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने के लिए भाजपा की शुरू से ही यह रणनीति रही है। भाजपा अपनी तरफ से आरक्षण को बचाने की कोई पहल नहीं करती और जानबूझकर अदालत में लचार दलील देकर आरक्षण को समाप्त होने का रास्ता खोलती है। लेकिन मध्य प्रदेश का ओबीसी समाज बीजेपी की इस दोमुंही नीति को समझ रहा है। कांग्रेस पार्टी ओबीसी को उसका अधिकार दिलाकर रहेगी।