मेरी मां मुझसे प्यार नहीं करती, क्या आपके पास भी हैं ऐसे सवाल?

वृजेन्द्रसिंह झाला
रेनेसा विश्वविद्यालय इंदौर के कुलाधिपति स्वप्निल कोठारी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। शिक्षाविद होने के साथ ही वे लाइफ कोच भी हैं, जो लोगों के जीवन से जुड़ी समस्याओं पर भी मार्गदर्शन देते हैं। चूंकि राजनीति विरासत में मिली है, इसलिए चुनाव भी लड़ना चाहते हैं। समाज में बदलाव की चाहत रखते हैं, इसलिए अपने विद्यार्थियों को साथ लेकर समाजसेवा का काम भी कर रहे हैं।
 
वेबदुनिया से बातचीत में कोठारी ने कहा कि जब वे लाइफ कोच की भूमिका में होते हैं, तो सबसे ज्यादा सवाल रिश्तों से जुड़े हुए होते हैं। क्योंकि रिश्तों में मतभेद, कन्फ्यूजन आदि बातें बहुत देखने में आती हैं। इस तरह की समस्या 6 साल की बच्ची से लेकर 60 साल के बुजुर्ग की भी हो सकती है। सबको समाधान की, स्पष्टता की चाहत होती है।
 
एक उदाहरण के जरिए कोठारी ने बताया कि एक बार एक लड़की ने मुझसे सवाल किया मेरी मां मुझसे प्यार नहीं करती, मेरी छोटी बहन को ज्यादा प्यार करती हैं। मैंने जवाब में कहा कि हकीकत में तुम अपनी छोटी बहन से प्यार नहीं करती हो। उसने बात को बारीकी से समझा, स्वीकार भी किया और खुद को बदला। लोगों के जीवन में इस तरह की कई समस्याएं या सवाल होते हैं, जिन्हें वह एक अनुभवी व्यक्ति की मदद से दूर कर सकता है। 
 
प्रखर वक्ता कोठारी 2016 और 2017 में संयुक्त राष्ट्र के मंच से भी भाषण दे चुके हैं। पहला भाषण उन्होंने अध्यात्म पर दिया था। जब उनसे धर्म और अध्यात्म के अंतर के बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा कि धर्म जिंदगी है, आडम्बर धर्म नहीं हो सकता। अध्यात्म वीतराग है। उन्होंने कहा कि त्यागने से पहले जागना जरूरी है। 
 
शिक्षा से जुड़े सवाल पर कोठारी कहते हैं कि शिक्षा एप्लीकेशन ओरियंटेड होनी चाहिए, व्यावाहारिक होनी चाहिए, जिससे जीवन में व्यक्ति को उसका ज्यादा फायदा मिले। 'पूर्ण अभ्युदय' संगठन के माध्यम से समाजसेवा के कार्य में संलग्न कोठारी ने बताया कि मैंने अपने 100 छात्रों के साथ इसकी शुरुआत की थी, जो संख्या अब बढ़कर 3000 के लगभग हो सकती है। सभी कार्यकर्ता इंदौर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों के बीच पूरी कर्मठता से काम कर रहे हैं। 
 
राजनीति से जुड़े प्रश्न पर कोठारी कहते हैं कि राजनीति के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। मध्यप्रदेश कांग्रेस के महासचिव कोठारी एक सवाल के जवाब में कहते हैं कि जब कश्मीर में भाजपा और पीडीपी मिलकर सरकार बना सकते हैं तो महाराष्ट्र में कांग्रेस और शिवसेना साथ क्यों नहीं आ सकते। राजनीति में कई बार ऐसी स्थितियां निर्मित होती हैं। उन्होंने कहा कि यदि 3 पार्टियां मिलकर महाराष्ट्र के लोगों की बेहतरी के लिए काम करना चाहती हैं तो इसमें गलत क्या है।