भोपाल। अब तक आपने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को काम के लिए रिश्वत लेते हुए सुना होगा या देखा होगा लेकिन अगर कोई अधिकारी चुनाव में जीत का प्रमाण पत्र देने के लिए विजयी प्रत्याशी से रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार हो जाए तो आप क्या कहेंगे। ऐसा ही वाकया सामने आया है मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में जहां नायब तहसीलदार ने सरंपच का चुनाव जीते प्रत्याशी से जीत का प्रमाण पत्र देने के लिए डेढ़ लाख रुपए की मांग की और एक लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा भी गया।
लोकायुक्त पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार शिवपुरी की खनियाधाना तहसील के ग्राम बरसोला के निवासी उमाशंकर लोधी संरपच का चुनाव जीते थे। सरपंच का चुनाव जीतने के बाद खनियाधाना तहसील में पदस्थ नायब तहसीलदार सुधाकर तिवारी ने जीत का प्रमाण पत्र देने के लिए डेढ़ लाख रूपए की रिश्वत की मांग की। जिसकी शिकायत उमाशंकर लोधी ने लोकायुक्त को की।
शिकायत की पुष्टि होने के बाद ग्वालियर लोकायुक्त की एक टीम ने मंगलवार को नवनिर्विचित सरपंच को एक लाख रूपए के साथ नयाब तहसीलदार के सरकारी आवास पर भेजा। जैसे ही अधिकारी ने रिश्वत की रकम अपने हाथ में ली, पहले से घर के बाहर मौजूद लोकायुक्त की टीम ने आरोपी नयाब तहसीलदार को गिरफ्तार कर लिया। रिश्वतखोर अधिकारी को गिरफ्तार करने के बाद लोकायुक्त की टीम नयाब तहसीलदार के ठिकानों की जांच कर रही है।
वहीं सरपंच चुनाव में जीत का प्रमाण पत्र देने के बदले रिश्वत लेने का मामला समाने आने के बाद कांग्रेस ने सरकार पर तंज कसा है। कांग्रेस मीडिया सेल के अध्यक्ष केके मिश्रा ने ट्वीट कर लिखा कि शिवपुरी-खनियाधाना तहसीलदार सुधाकर तिवारी को लोकायुक्त टीम ने 1 लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा सरपंच को चुनाव जिताने के लिए मांगी रिश्वत!कांग्रेस का आरोप स्वतः साबित कि सरकार और नौकरशाह दोनों का का गठजोड़ लोकतंत्र को खरीद रहा है?अब कुछ बाकी है?