भोपाल। शांति का टापू कहे जाने वाले मध्यप्रदेश पर क्या आतंकी संगठन ISIS की नजर है? क्या आतंकी संगठन ISIS मध्यप्रदेश में अपना जाल बिछाने की कोशिश में है? क्या आतंकी संगठन ISIS की इस साजिश में कट्टरवादी संगठन PFI भी शामिल है? यह कुछ ऐसे सवाल है जो रविवार को भोपाल और रायसेन में NIA के छापे के बाद खड़े हो गए है।
रविवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भोपाल और रायसेन के सिलवानी में छापा मारकर दो संदिग्ध लोगों से घंटों पूछताछ की। NIA ने ISIS से कनेक्शन को लेकर संदिग्ध जुबैर मंसूरी और हाफिज अनस से पूछताछ की। हलांकि जांच एजेंसी ने दोनों युवकों को 10 घंटे की पूछताछ के बाद नोटिस देकर छोड़ दिया है।
जांच एजेंसी एनआईए ने दोनों संदिग्ध युवकों को आतंकी संगठन ISIS से कनेक्शन के आरोप में हिरासत में लिया था। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के मुताबिक संदिग्ध युवकों ने ISIS के नाम से एक टेलीग्राम एकाउंट बनाया था। इसके साथ जांच एजेंसी के अधिकारी आगे की जांच के लिए दोनों संदिग्ध युवकों के मोबाइल और लैपटॉप के क्लोन तैयार करके ले गए है। गृहमंत्री ने आगे कहा कि जांच एजेंसी ने पूछताछ को लेकर ज्यादा जानकारी साझा नहीं की है।NIA ने दोनों संदिग्धों को आगे की पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA ने बिहार के फुलवारी शरीफ केस में भोपाल और रायसेन में छापेमारी कर दो संदिग्ध जुबैर मंसूरी और हाफिज सनद को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी।
गृह विभाग ने जारी किया अलर्ट- वहीं भोपाल में संदिग्धों से पूछताछ के बाद गृह विभाग ने प्रदेश के सभी थानों को संदिग्धों की जानकारी लेने के लिए अलर्ट किया है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के मुताबिक सभी थानों को संदिग्धों की पहचान के लिए अलर्ट किया गया है। पुलिस को किराए पर रहने वाले संदिग्ध लोगों की पहचान के साथ पूरी जानकारी लेने को कहा गया है। इसके साथ मकान मलिकों को संदिग्ध लोगों को मकान नहीं देने की हिदायत दी गई है। इससे पहले साल 2020 में हिजुबल मुजाहिदीन के कमांडर आतंकी जुबैर अहमद वानी का भोपाल कनेक्शन भी सामने आया था, बताया गया था कि जुबैर अहमद वानी ने भोपाल में रहकर अपनी पढाई पूरी कर थी।
मध्यप्रदेश में भी PFI सवालों के घेरे में –पिछले दिनों कर्नाटक के मंगलुरु में भाजपा युवा मोर्चा के नेता प्रवीण की हत्या में कट्टरवादी संगठन पीएफआई का नाम सामने आया था। वहीं मध्यप्रदेश में कट्टरवादी संगठन PFI पहले से सवालों के घेरे में है। पिछले दिनों खरगोन में हुए दंगे में कट्टरवादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) का नाम प्रमुखता से सामने आया था। हिंसा में पीएफआई फंडिग के बात भी सामने आई थी। खरगोन दंगे इंटेलिंजेंस के हाथ इस बात के इनपुट लगे थे कि हिंसा को लेकर पहले से प्लानिंग की गई थी और एक प्लान के तहत घटना को अंजाम दिया गया। खरगोन घटना के बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा था कि उपद्रवी बड़ी साजिश को अंजाम देना चाहते थे लेकिन मप्र पुलिस की जांबाजी के कारण वे अपने मंसूबे में सफल नहीं हो पाए।
इसके साथ ही प्रदेश के संवेदनशील मालवा-निमाड़ इलाके में सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश में पीएफआई कनेक्शन की बात कई बार सामने आ चुकी है। मालवा-निमाड़ के बड़े जिले उज्जैन, इंदौर, मंदसौर, खंडवा, खरगोन और बड़वानी में पिछले दो साल में सांप्रदायिक हिंसा और तनाव की जो भी घटनाएं घटनाएं सामने आई है उसको लेकर पीएफआई पर सवाल उठते रहे है।
चाहे बात इंदौर में चूड़ी बेचने वाले मुस्लिम युवक की भीड़ के द्धारा बेरहमी से पिटाई करने की घटना की हो या उज्जैन के महिदपुर में असामाजिक तत्वों ने कबाड़ का काम करने वाले अब्दुल रशीद की पिटाई करने के साथ डरा-धमकाकर धार्मिक नारे लगवाने की रही हो सवाल पीएफआई पर उठती रही है।
आखिर क्या है PFI ?: इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का राजनीतिक संगठन है। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानी कि एसडीपीआई इसका राजनीतिक संगठन है।
एसडीपीआई के मूल संगठन पीएफआई पर विभिन्न असामाजिक और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लंबे समय से लगते आए है। इतना ही नहीं, पीएफआई के खिलाफ आरोप यह भी हैं कि विभिन्न इस्लामी आतंकवादी समूहों के साथ उसके कथित संबंध हैं। इसके साथ संगठन के महिलाओं के लिए नेशनल वीमेंस फ्रंट, स्टूडेंट के लिए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया भी सक्रिय है। झारखंड और केरल में इस संगठन पर बैन भी लगाया गया था