प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जहरीले कचरा का असर जमीन, भूमिगत जल और खेती पर पड़ेगा। इससे किसानों को नुकसान झेलना पड़ेगा। साथ ही स्वास्थ्य पर भी इसका विपरित असर देखने को मिल सकता है। हालांकि शासन और प्रशासन इस पर पहले ही साफ कर चुके है कि कई स्तर पर परखने और विमर्श के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।
लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि वर्ष 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन जहरीले कचरे का निपटारा वैज्ञानिकों से विस्तृत चर्चा के आधार पर किया जाना चाहिए क्योंकि यह आम लोगों के जीवन से जुड़ा विषय है। महाजन ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी का भयावह मंजर याद आते ही हम सबका दिल दहल जाता है। यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे का निपटारा अवश्य होना चाहिए, लेकिन जैसा कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यह बताया जाना चाहिए कि कचरे का निपटान किस तरह किया जाएगा?