याचिका सामाजिक कार्यकर्ता तपन भट्टाचार्य ने सीनियर एडवोकेट आनंद मोहन माथुर के माध्यम से दायर की है। इस याचिका में कहा कि दवे की मौत संदिग्ध परिस्थिति में हुई थी। एम्स अस्पताल की दूरी उनके निवास से कुछ मीटर होने के बावजूद उन्हें अस्पताल पहुंचाने में देरी की गई। उनकी तबीयत बिगड़ने के बावजूद उन्हें कोई डॉक्टर देखने नहीं आया।
याचिका के अनुसार, दवे की मौत के बाद उनके शरीर पर नीले निशान देखे गए थे। उनका शव पहले कांच के बक्से में रखा गया था, लेकिन बाद में उसे लकड़ी के बक्से में रख दिया गया। शव घर पहुंचने के कुछ मिनट बाद ही बड़े नेताओं का घर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। यह संदेह को जन्म देता है। संदिग्ध मौत को देखते हुए दवे के पोस्टमार्टम की मांग उठी थी, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया।