राजधानी भोपाल के एक अखबार में शनिवार को इस संबंध में प्रकाशित एक खबर पर बवाल मचने के बाद मंत्री शेजवार ने कहा कि आदिवासियों को बांटे गए जूते-चप्पलों में कहीं कोई रसायन नहीं है, जिससे हितग्राहियों को कैंसर की आशंका बने। अब तक कुल आठ लाख 13 हजार जूते-चप्पल बांटे गए हैं। इनकी कारखाने से निकलने के पहले और वितरण के पहले भी जांच की गई।
भोपाल के एक अखबार में आज वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के केंद्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान, चेन्नई के हवाले से प्रकाशित एक खबर में दावा किया गया था कि प्रदेश में तेंदूपत्ता संग्राहकों को सरकार द्वारा बांटे गए जूते-चप्पलों में खतरनाक रसायन एजैडओ मिला है। यह रसायन त्वचा के कैंसर का कारण बन सकता है।
रिपोर्ट में दावा किया गया कि सरकार ने जूते-चप्पलों का वितरण 22 मई से शुरु कर दिया था, जबकि इनका सैंपल जांच के लिए संस्थान को 18 जून को भेजा गया। इस रिपोर्ट पर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने भी सवाल उठाते हुए ट्वीट किया कि ये खुलासा चिंतनीय है, आदिवासियों की जान से खिलवाड़ की इजाजत कैसे दी गई और बगैर जांच के लाखों जूते-चप्पल कैसे बांट दिए गए, इसका दोषी कौन है। (वार्ता)