साल 2016 : शिवराजसिंह चौहान ने रचा नया इतिहास

भोपाल। साल 2016 मध्यप्रदेश में राजनीतिक दृष्टि से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं सत्तारूढ़ भाजपा के नाम रहा। चौहान ने जहां लगातार 11 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहने का नया इतिहास रच डाला, वहीं भाजपा ने राज्य की शहडोल लोकसभा एवं 3 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में विपक्षी कांग्रेस को करारी मात देकर पिछले साल नवंबर में झाबुआ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में मिली हार का बदला ले लिया।
हालांकि कांग्रेस ने प्रदेश में राज्यसभा की 3 सीटों में से 1 सीट जीतकर चुनावी मैदान में इस साल अपना सूपड़ा साफ होने से बचा लिया जिससे उसे थोड़ी-बहुत राहत जरूर मिली होगी, शेष 2 राज्यसभा सीटें भाजपा की झोली में गईं।
 
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फॉर्मूले के तहत 75 वर्ष की आयु से अधिक होने के कारण शिवराज सरकार के 2 वरिष्ठ मंत्रियों गृहमंत्री बाबूलाल गौर (86) एवं लोक निर्माण मंत्री सरताज सिंह (76) से इस्तीफे लेकर उन्हें मंत्रिमंडल से हटाना, प्रधानमंत्री मोदी का 5 बार प्रदेश का दौरा करना, राज्य में नए राज्यपाल के रूप में ओमप्रकाश कोहली की नियुक्ति और प्रदेश के 3 पूर्व राज्यपालों का निधन मध्यप्रदेश की प्रमुख राजनीतिक खबरें रहीं।
 
चौहान 29 नवंबर 2005 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। तब से अब तक वे मुख्यमंत्री पद की कमान संभाले हुए हैं। उन्होंने 28 नवंबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर लगातार 11 साल पूरे किए और नया कीर्तिमान बनाया। इससे पहले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का सबसे अधिक 10 साल तक लगातार प्रदेश का मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड था। सिंह 7 दिसंबर 1993 से 8 दिसंबर 2003 तक लगातार 10 साल मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
 
इस वर्ष राज्य की शहडोल लोकसभा एवं 3 विधानसभा सीटों- मैहर, घोड़ाडोंगरी एवं नेपानगर में उपचुनाव हुए जिनमें सभी सीटों पर भाजपा ने अपना कब्जा बरकरार रखा, हालांकि कांग्रेस को पिछले साल नवंबर में झाबुआ लोकसभा उपचुनाव में भाजपा से सीट छीनने के बाद राज्य में अपना राजनीतिक वर्चस्व फिर से बनाने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन इस साल सभी उपचुनावों में शिकस्त मिलने से उसकी उम्मीद पर पानी फिर गया। 
 
बहरहाल, इस साल प्रदेश की 3 राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस को थोड़ी राहत जरूर मिली, क्योंकि कांग्रेस के उम्मीदवार विवेक तन्खा राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए, बाकी 2 सीटों पर भाजपा के रणनीतिकार अनिल दवे एवं जाने-माने पत्रकार एमजे अकबर भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुने गए। संसद के उच्च सदन राज्यसभा में भाजपा अल्पमत में है।
 
मध्यप्रदेश से राज्यसभा की तीसरी सीट पर भी कब्जा करने और संसद के उच्च सदन में दल की ताकत बढ़ाने के लिए प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता विनोद गोटिया ने राज्यसभा चुनाव हेतु निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल किया, लेकिन वे कांग्रेस के उम्मीदवार विवेक तन्खा से हार गए।
 
राज्य के 2 कद्दावर नेता गृहमंत्री बाबूलाल गौर एवं लोक निर्माण विभाग के मंत्री सरताज सिंह को उस वक्त करारा झटका लगा, जब उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फॉर्मूले के तहत 75 साल से अधिक उम्र का होने के कारण शिवराज मंत्रिमंडल से 30 जून को इस्तीफा देना पड़ा।
 
बताया जाता है कि इस्तीफा उन्होंने अपनी मर्जी से नहीं, बल्कि पार्टी के दबाव में दिया। दबाव के चलते दोनों मंत्रियों ने प्रारंभ में यह कहते हुए इस्तीफा देने से इंकार कर दिया था कि पार्टी की इस मांग से वे अपमानित महसूस कर रहे हैं। सत्ता के गलियारों में अटकलें चलीं कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर अपना नया राजनीतिक मार्ग चुन सकते हैं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और भाजपा का दामन थामे रखा।
 
इस साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 5 बार मध्यप्रदेश आए। उन्होंने 14 अक्टूबर को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शहीदों एवं वीरों के सम्मान में प्रदेश की राजधानी भोपाल में 12.67 एकड़ में बनाए गए शौर्य स्मारक का उद्घाटन किया। मोदी 19 फरवरी को सीहोर में आयोजित किसान महासम्मेलन में, 14 अप्रैल को अम्बेडकर की 125वीं जयंती पर उनकी जन्मस्थली महू में आयोजित समारोह में डॉ अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने और 9 अगस्त को क्रांतिकारी नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी चन्द्रशेखर आजाद की जन्मभूमि पर भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं सालगिरह के मौके पर भाभरा आए तथा आमसभाओं को संबोधित किया।
 
एक माह तक उज्जैन में चले सिंहस्थ कुंभ के दौरान 14 मई को मोदी उज्जैन जिले के निनोरा में वैचारिक महाकुंभ में भी आए और इसी दिन उन्होंने उज्जैन के कुंभ मेले का हवाई अवलोकन भी किया। इस यात्रा के दौरान मोदी ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ मिलकर निनोरा में सिंहस्थ घोषणा पत्र जारी किया। इस मौके पर भारत की यात्रा पर आए श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना भी थे। इस साल 8 अगस्त को मध्यप्रदेश को ओमप्रकाश कोहली के रूप में नए राज्यपाल भी मिले। उन्होंने रामनरेश यादव का कार्यकाल समाप्त होने के बाद राज्यपाल का पद संभाला।
 
राज्यपाल का कार्यकाल पूरा होने के लगभग ढाई महीने बाद पूर्व राज्यपाल रामनरेश यादव का 22 नवंबर को लखनऊ में निधन हो गया, वहीं मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल मोहम्मद शफी कुरैशी का 29 अगस्त को निधन हो गया, जबकि प्रदेश के पूर्व राज्यपाल डॉ. भाई महावीर का देहांत 3 दिसंबर को दिल्ली में हुआ। इनके अलावा मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता, कांग्रेस के भिंड जिले से विधायक सत्यदेव कटारे का लंबी बीमारी के बाद 20 अक्टूबर को मुंबई में निधन हो गया।

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