इंदौर। मध्यप्रदेश में सरकारी क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था की सूरत बदलने के मकसद से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को राज्यभर में 69 'सीएम राइज' विद्यालयों की नींव रखी। चौहान ने कहा कि कुल 2,519 करोड़ रुपए की लागत वाले इन विद्यालयों को निजी स्कूलों से बेहतर बनाया जाएगा ताकि गरीब परिवारों के बच्चे भी अत्याधुनिक शिक्षा हासिल कर सकें।
मुख्यमंत्री ने इंदौर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान रिमोट का बटन दबाकर राज्य के अलग-अलग जिलों में 69 'सीएम राइज' विद्यालयों की नींव रखी। इनमें इंदौर के 5 विद्यालय शामिल हैं। चौहान ने कहा कि मैं उस सरकारी विद्यालय में पढ़ा हूं, जहां केवल 2 छोटे-छोटे कमरे थे और हमें वहां जमीन पर बैठने के लिए खाद की खाली बोरी अपने घर से ले जानी पड़ती थी। तब से मेरे मन में यह बात थी कि सरकारी स्कूलों की हालत अच्छी होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोनावायरस से संक्रमित होने के कारण अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान उन्हें विचार आया था कि सरकारी विद्यालयों को निजी स्कूलों से बेहतर बनाया जाना चाहिए ताकि गरीब तबके के नौनिहालों को भी अत्याधुनिक शिक्षा मिल सके। मुझे भरोसा है कि 'सीएम राइज' विद्यालय निजी स्कूलों से बेहतर साबित होंगे और इनसे शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक क्रांति होगी।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार के 'सीएम राइज' विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए नए जमाने की सुविधाएं जुटाई जाएंगी। इनमें 'स्मार्ट' कक्षाएं, डिजिटल शिक्षा प्रणाली, अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं और पुस्तकालय के साथ ही खेलकूद तथा कौशल व व्यक्तित्व विकास की गतिविधियां शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस की पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के राज में सूबे के शासकीय विद्यालय कथित तौर पर बदहाल थे और 500 रुपए की मामूली मासिक पगार पर शिक्षाकर्मियों की कामचलाऊ नियुक्तियां की गई थीं।
चौहान ने कहा कि भाजपा ने प्रदेश की सत्ता में आते ही शिक्षा की संस्कृति बदल दी और फिलहाल सरकारी विद्यालयों के अध्यापकों को हर महीने 40,000 से 60,000 रुपए की तनख्वाह दी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि विद्यार्थियों को अंग्रेजी सीखनी चाहिए, लेकिन राज्य सरकार ने मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए छात्र-छात्राओं को मेडिकल और इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई हिन्दी में करने का विकल्प प्रदान किया है।