ऐसे हालात में इन्होंने इसे अपनी रोजी रोटी का जरिया बना लिया है और कक्षा 4 में पढ़ने वाले अपने छोटे बेटे को परचून की दूकान खुलवा दी है। सुबह माता-पिता (उमा और लक्ष्मण) दूकान चलाते हैं और बाकी समय बच्चे नीलम 15 वर्ष, नीरज 10 वर्ष और जितेंद्र 7 वर्ष, दूकान संभालते हैं।