महिलाओं को सशक्त बनाती है समर्पण की भावना

सोमवार, 27 दिसंबर 2021 (18:50 IST)
(देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला में हुआ सशक्त नारियों का सम्मान)

इंदौर,  राष्ट्र सेविका समिति के बौद्धिक प्रमुख सीमा भिसे ने आज की सशक्त नारी का विश्लेषण करते हुए कहा है कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति वहां की महिलाओं की स्थिति से जानी जाती है।

अगर महिला सुशिक्षित और सशक्त हो तो देश भी प्रगति की राह पर होता है, क्योंकि महिलाओं की समर्पण की भावना ही महिलाओं को सशक्त बनाती है। साथ ही श्रीमती भिसे ने कहा की आज की वर्तमान स्थिति में भी विकास के लिए हमे हमारी संस्कृति से जुड़ना बहुत ज़रूरी है अगर हम अपनी संस्कृति की जड़ें छोड़ देंगे तो ये हमारी विकास की राह में बाधाएं होगी।

एक उन्नत और विकसित कार्य के लिए ये ज़रूरी है की हम सबको साथ लेकर चले चाहे वो हमारा परिवार हो या कोई संघठन, एकता की भावना ही महिलाओं को सशक्त बनाती है और एक सशक्त नारी ही देश को उन्नत बनाती है।

श्रीमती सीमा ने सोमवार को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला द्वारा आयोजित सशक्त नारी सार्थक संवाद सम्मान समारोह को संबोधित किया।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में विभागाध्यक्ष डॉ. सोनाली नरगुंडे ने कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत की। ४ जनवरी २०२१ से प्रारम्भ हुए सशक्त नारी सार्थक संवाद कार्यक्रम का 27 दिसंबर सोमवार को समापन किया गया।

इस अवसर पर सभी के व्याख्यान को पुस्तक स्वरूप में परिवर्तित कर प्रकाशित पुस्तक का लोकार्पण किया गया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. रेणु जैन ने कहा की अगर एक नारी सुशिक्षित हो तो पूरी कॉम सुशिक्षित होती है। साथ ही आज के वर्तमान समय में हमें नैतिकता की ज़रूरत है, क्योंकि पुराने समय में सभी को अपने नैतिक मूल ज्ञात थे।  हमे सफलता के संस्कारों की नींव खड़ी करनी होगी और साथ ही समानता का व्यवहार अपनाना होगा।

सीमा जी ने आगे कहा की इस वर्तमान समय में एक अपराधी से बढ़कर भी वो दोषी है जो अपराधों को जान कर भी चुप रहता है। आप न खुद अपराध करे और न दूसरों को करने दे, क्योंकि आपकी चुप्पी ही इन अपराधों को बढ़ावा देती है।

इस कार्यक्रम की विशेष अतिथि रही अरविंदो विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. ज्योति बिंदल ने कार्यक्रम को सम्बोधित किया और कहा की सशक्त नारी ही देश का विकास है। हमे उन्नत होने के लिए ज़रूरी है की की हम अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाये, क्योंकि चुप रहना ही अन्याय का साथ देना है।

इस कार्यक्रम में डॉ माया इंगले, डॉ विशाखा कुटुंबले, डॉ संगीता जैन, डॉ अंजना जाजू, डॉ मीता जैन, डॉ सुवर्णा तोरगल, डॉ श्रद्धा मसीह, डॉ अर्चना रांका, डॉ कामाक्षी अग्निहोत्री, डॉ ज्योति जैन, डॉ ज्योति रत्नावत, डॉ ज्योति शर्मा, डॉ निशा सिद्दीकी, डॉ अनामिका भागवत, डॉ अनुराधा शर्मा, डॉ कामना लाड, डॉ भावना निगम, डॉ प्रिया सिंह राठौर, डॉ प्रीति सिंह, डॉ रेखा आचार्य, डॉ गीता नीमा, डॉ सुजाता पारवानी, डॉ यामिनी करमरकर, डॉ विशाखा कुटुंबले, डॉ जयश्री बंसल, डॉ सुनीता जोशी, डॉ श्वेता वालिया, डॉ वृंदा टोकेकर, डॉ सुषमा दुबे, डॉ सुधीरा चंदेल, माला सिंह ठाकुर, मंजूषा जौहरी, गरिमा मुदल, इं. हेमा शिवेंद्र सिंह को सम्मानित किया गया।

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