Symptoms of Schizophrenia: इंदौर के नवलखा क्षेत्र में सनसनीखेज घटनाक्रम के तहत 43 वर्षीय एक सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) मरीज ने अपने बुजुर्ग पिता और 53 वर्षीय बहन की हत्या कर दी। हत्या के बाद आरोपी घर में ताला लगाकर भाग गया। 36 घंटे बाद जब पुलिस वहां पहुंची तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। आरोपी कुछ दिन पहले ही रिहैब सेंटर से लौटा था।
क्या है पूरा मामला : शहर के नवलखा क्षेत्र के वसुधैव कुटुंबकम अपार्टमेंट में रहने वाले रिटायर्ड बैंक अधिकारी कमल किशोर धामंदे और 53 वर्षीय बेटी रमा अरोरा की उनके 43 वर्षीय बेटे पुलिन धामंदे ने हत्या कर दी। पिता और बहन की हत्या के बाद पुलिन ने दोनों शवों को एक जगह किया और उन पर चादर डाल दिया। घटना के बाद वह फ्लैट में ताला जड़कर वहां से भाग गया। धामंदे की छोटी बेटी क्षमा ने जब पिता और बहन से संपर्क नहीं हो पाया तो थाने में शिकायत की। पुलिस के अपार्टमेंट में पहुंचने पर हत्या का खुलासा हुआ। पुलिस के मुताबिक 36 घंटे पुराने दो शव फ्लैट में मिले थे। पुलिन की मां उससे परेशान थी और सिलीकॉन सिटी में अलग रहती थी।
क्या हैं सिजोफ्रेनिया के लक्षण : इंदौर के प्रसिद्ध मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. रामगुलाम राजदान ने बताया कि दरअसल, सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) एक गंभीर मानसिक रोग है। इससे पीड़ित व्यक्ति को भ्रम (Dillucination) और विभ्रम या मतिभ्रम (Hallucination) हो जाता है। वह वास्तविकता में न रहकर कल्पनाओं में जीता है। अपने आप हंसने लग जाता है या फिर रोने लग जाता है। बड़बड़ाते हैं। वह किसी के भी प्रति असत्य धारणा बना लेता है। उन्हें अपना शत्रु समझने लगता है। इस तरह के व्यक्ति हिंसक हो जाते हैं, आक्रामक हो जाते हैं। सड़क पर वेबजह घूमते रहते हैं।
डॉ. राजदान कहते हैं कि इस तरह के लक्षणों वाले लोग अपनी ही दुनिया में रहते हैं, बाहरी दुनिया से उन्हें डर लगता है। बाहर के लोग उन्हें दुश्मन जैसे लगते हैं। इन्हें तरह-तरह की आवाजें महसूस होती हैं। जैसे- खत्म कर दो, मार दो, मर जाओ, खत्म हो जाओ आदि। कई बार इस पर व्यक्ति एक्ट भी कर देता है। इस तरह के काम वे बिना किसी रीजन के कर देते हैं।
क्या है उपचार? : डॉ. राजदान कहते हैं कि यदि एक माह से अधिक इस तरह के लक्षण किसी व्यक्ति में दिखाई देते हैं, तो वह सिजोफ्रेनिया का शिकार है। हालांकि उसका उचित उपचार किया जाए तो वह ठीक हो जाता है और सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन जी सकता है। राजदान के मुताबिक भारत में सिजोफ्रेनिया मरीजों की संख्या कुल आबादी का एक प्रतिशत है। यह बीमारी अनपढ़ या पढ़े-लिखे किसी भी व्यक्ति को हो सकती है।