कोरोना काल में देश में पहला ऑनलाइन 'किसान सत्याग्रह', मक्का किसानों के हक के लिए युवाओं ने बुलंद की आवाज

विकास सिंह

मंगलवार, 9 जून 2020 (12:25 IST)
अब तक आप ने किसानों को अपने हक की लड़ाई जमीन पर लड़ते हुए देखा होगा लेकिन कोरोना काल में किसानों के आंदोलन का स्वरूप और तरीका भी बदल गया है। कोरोना काल में जहां सियासी दल अब वोटरों को लुभाने के लिए ऑनलाइन वचुर्अल रैली कर रहे है तो  सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए किसानों ने ऑनलाइन सत्याग्रह शुरु किया है। 
 
मध्यप्रदेश में मक्का किसानों को उनकी फसल का उचित दाम दिलाने और उनके हक की आवाज उठाने के लिए किसानों का पहला ऑनलाइन आंदोलन किसान सत्याग्रह इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहा है। प्रदेश के सिवनी जिले से दो सप्ताह पहले शुरु हुए युवा किसानों के इस ऑनलाइन आंदोलन की गूंज अब राष्ट्रीय स्तर पर सुनाई देने लगी है और देखते हुए इसमें देश भर के हजारों किसान शामिल होते जा रहे है। 
ऑनलाइन सत्याग्रह आंदोलन क्यों ? - युवा किसानों के द्वारा चलाया जा रहा अपने तरह के इस पहले ऑनलाइन आंदोलन का मुख्य उद्देश्य मक्का का समर्थन मूल्य बढ़वाना नहीं ब्लकि मक्का का समर्थन मूल्य पाना है। 
 
खेती को लाभ का धंधा बनाने के सरकार के बड़े बड़े वादों के बीच मध्यप्रदेश इस समय  मक्के की कीमत  900 से 1000 रूपए प्रति क्विंटल है। जबकि कमीशन फ़ॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेस (CACP) के अनुसार 1 कुण्टल मक्का पैदा करने की लागत 1213 रुपए आती है। वर्तमान समय में मक्के का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1850 रुपये है।
 
 इससे किसानों को प्रति कुण्टल लागत पर  213  रुपये से लेकर 313 रुपए और समर्थन मूल्य से आकलन करें तो 850 से 950 रुपये प्रति कुण्टल का घाटा सहना पढ़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक एक एकड़ में मक्के पर किसानों को 14 से 16  हजार तक की लागत आ रही है और इतना ही नुकसान प्रति एकर मक्के की खेती पर किसानों को हो रहा है। 
ऑनलाइन किसान सत्याग्रह का स्वरूप –  मक्का किसानों की तरफ सरकार का ध्यान दिलाने के लिए और फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए सिवनी जिले के कुछ युवा किसानों ने अलग-अलग क्षेत्र के सक्रिय युवाओं के साथ मिलकर ऑनलाइन सत्याग्रह शुरु किया। 
 
इसके लिए बकायदा किसान सत्याग्रह नाम से फेसबुक पेज बनाया गया जिसमें अब तक हजारों लोग जुड़ चुके है। वहीं सोशल मीडिया  ट्विटर पर अकाउंट बनाने के साथ और व्हाट्सएप्प ग्रुप्स बनाये गए और किसानों को जोड़ना शुरू किया गया। 
 
किसानों का ऑनलाइन सत्याग्रह शुरु करने वाले सिवनी जिले के युवा किसान सतीश राय कहते हैं कि ये आंदोलन पूरी तरह किसानों का आंदोलन और किसानों के हक के लिए चलाया जा रहा है। वह कहते हैं कि मध्यप्रदेश में मक्का उत्पादक किसानों की स्थिति बहुत खराब है और आज मक्का की खेती करने वाला किसान दुखी और निराश थे।
 
किसानों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने के लिए हम कुछ युवा किसान आगे आए और एक ऑनलाइन आंदोलन शुरु किया। महज 14 दिन पहले शुरु किए इस आंदोलन को अब तक करीब एक लाख किसानों का समर्थन मिल चुका है। मक्का MSP आंदोलन से जुड़ी हर पोस्ट को किसान बड़ी मात्रा में शेयर करने लगे। देश भर से किसान आंदोलन से जुड़े जाने माने लोग आंदोलन के समर्थन में हमें वीडियो संदेश भेज रहे हैं।
 
युवा किसान सतीश राय कहते हैं कि दिसंबर और जनवरी तक मक्के के दाम बुहत अच्छा था और इसकी कीमत 2100 से 2200 रूपए प्रति क्विंटल थी लेकिन इस बीच सरकार ने बड़े पैमाने विदेशों से मक्का के आयात का फैसला कर लिया जिससे मक्के की कीमत आज एक हजार रूपए क्विंटल तक सीमित हो गई है। 
ऑनलाइन किसान सत्याग्रह का तरीका –  मक्का किसानों को उनकी फसल का उचित दाम दिलाने के लिए ऑनलाइन सत्याग्रह आंदोलन तीन तरीकों से चलाया जा रहा है। पहला तरीका प्ले कार्ड के माध्यम से किसान अपना समर्थन आंदोलन को दे रहे हैं, दूसरा अपना वीडियो बनाकर अपनी परेशानी तथा अपनी मांग बता रहे हैं, तीसरा किसान सत्याग्रह के समर्थन में आंदोलन को सपोर्ट करने के लिए अपनी सोशल मीडिया की डीपी को अपडेट कर रहे हैं।
 
"अन्नदाता के लिए अन्न त्याग' कैंपेन – सरकार से अपनी मांग मनवाने के लिए किसान सत्याग्रह से जुड़े युवा किसान अब आंदोलन को अगले चरण में ले जाते हुए उपवास और अनशन का एलान किया है। युवा किसानों ने लोगों से अपील की है कि वह मक्का किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम सर्मथन मूल्य दिलाने के लिए 11 जून को अनशन कर अपना समर्थन दें। 
 
आंदोलन से जुड़े सतीश राय कहते हैं कि ‘अन्नदाता के लिए अन्न त्याग’  के नाम से शुरु हो रहे इस कैंपेन में लोग एक दिन का उपवास रखते हुए अपने घर के बाहर ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अनशन पर बैठे। पहले से ही कोरोना से जूझ रहे मक्का किसानों की हालत कितनी खराब है इसका अंदाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि फसल का सही मूल्य नहीं मिल पाने से अकेले सिवनी जिले में 4 लाख 35 हजार एकड़ में किसानों ने मक्के की फसल बोई थी लेकिन फसल का उचिन दाम नहीं पाने से किसानों को 600 करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है। 
 
 
 
 

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