BJP की धमकी पर भड़की शिवसेना, पूछा- क्या राष्ट्रपति आपकी जेब में हैं?

शनिवार, 2 नवंबर 2019 (15:39 IST)
मुंबई। शिवसेना ने शनिवार को भाजपा नेता सुधीर मुनगंटी‍वार के उस बयान की आलोचना की जिसमें उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र में अगर 7 नवंबर तक सरकार नहीं बनी तो प्रदेश राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ सकता है। पार्टी ने गठबंधन सहयोगी से पूछा कि क्या राष्ट्रपति की मुहर राज्य में उसके कार्यालय में पड़ी है?
 
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प्रदेश में 24 अक्टूबर को आए विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद से ही सत्ता में साझेदारी को लेकर शिवसेना और भाजपा में खींचतान चल रही है। शिवसेना ने भाजपा को चुनौती दी कि वह प्रदेश में अगली सरकार बनाने का दावा पेश करे। प्रदेश में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 8 नवंबर को पूरा हो रहा है।
 
शिवसेना की मुख्यमंत्री पद पर भाजपा के साथ साझेदारी की मांग को सरकार गठन में 'मुख्य बाधा' बताते हुए मुनगंटी‍वार ने कहा था कि तय समय में एक नई सरकार बनाना होगा या फिर राष्ट्रपति को हस्तक्षेप करना होगा। अगर तय समय में सरकार गठित नहीं होती है तो राष्ट्रपति शासन लगेगा।
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निवर्तमान सरकार में वित्तमंत्री मुनगंटी‍वार पर हमला बोलते हुए शिवसेना ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने की 'धमकी' दी है, क्योंकि राजनीतिक समीकरण साधने के लिए जांच एजेंसियों के इस्तेमाल जैसे 'धमकाने वाले हथकंडे' महाराष्ट्र में कारगर नहीं हैं।
 
शिवसेना ने पार्टी मुखपत्र 'सामना' में सवाल उठाया कि मुनगंटी‍वार द्वारा दी गई इस धमकी से आम लोग क्या समझेंगे? इसका मतलब क्या यह है कि भारत के राष्ट्रपति आपकी (भाजपा की) जेब में हैं? या राष्ट्रपति की मुहर महाराष्ट्र में भाजपा के दफ्तर में रखी है?
 
'सामना' के संपादकीय में शिवसेना ने पूछा कि क्या ये लोग यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने में विफल रहने पर भाजपा राष्ट्रपति शासन थोप सकती है। 'महाराष्ट्र का अपमान..., क्या राष्ट्रपति आपकी जेब में हैं?' शीर्षक वाले मराठी संपादकीय में मुनगंटी‍वार के बयान को 'अलोकतांत्रिक तथा असंवैधानिक' बताया गया है।
 
पार्टी ने कहा कि 'यह बयान संविधान और कानून के शासन के बारे में अल्पज्ञान को दर्शाता है। यह धमकी तय व्यवस्थाओं को दरकिनार कर चीजों को अपने मुताबिक करने की दिशा में एक कदम हो सकती है। यह बयान लोगों के जनादेश का अपमान है।'
 
प्रदेश में 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को 105 सीटें मिली थीं जबकि 288 सदस्यीय सदन में शिवसेना ने 56 सीटें जीती हैं। प्रदेश में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता है।
 
संपादकीय में आगे लिखा गया है कि 'जो लोग राष्ट्रपति शासन की बात कर रहे हैं, उन्हें पहले प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश करना चाहिए। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति संविधान में सर्वोच्च प्राधिकार हैं। यह किसी व्यक्ति के बारे में नहीं, देश के बारे में है। देश किसी की जेब में नहीं है।' शिवसेना ने यह भी कहा कि सरकार गठन में जारी गतिरोध के लिए उसे दोष नहीं दिया जाना चाहिए।
 
संपादकीय में कहा गया है कि सार्वजनिक जीवन में कोई नैतिकता नहीं बची है। दिलचस्प बात यह है कि शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने भी शुक्रवार को मुनगंटी‍वार के बयान को 'एक तरह की धमकी' बताकर उसकी आलोचना की थी।

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