मुंबई। शिवसेना ने रविवार को यह जानना चाहा कि जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस यह महसूस करते हैं कि प्रदेश विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन को चुनौती देने के लिए चुनाव मैदान में विपक्ष नहीं है तो भाजपा के शीर्ष स्तर के इतने सारे नेताओं ने यहां इतनी रैलियां क्यों की?
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे एक लेख में पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने यह भी दावा किया कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे के चुनाव मैदान में उतरना आने वाले वर्षों में राज्य का राजनीतिक इतिहास बदलने वाला साबित होगा।
फडणवीस ने विपक्षी दलों की घटती ताकत पर निशाना साधते हुए हाल ही में कहा था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा नीत गठबंधन से मुकाबले के लिए ‘विपक्ष के पास कोई पहलवान नहीं है।’
राउत ने कहा कि मुख्यमंत्री कहते रहे हैं कि चुनाव अभियान में विपक्ष ‘मौजूद नहीं है।’ सवाल उठता है कि पूरे महाराष्ट्र में (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी की 10, (केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह की 30 और स्वयं फड़णवीस द्वारा 100 रैलियां करने का क्या उद्देश्य है।
उल्लेखनीय है कि आदित्य ठाकरे अपने परिवार से चुनाव मैदान में उतरने वाले पहले सदस्य हैं और वह मुम्बई के वर्ली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
राउत ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी राज्य की भौगोलिक सीमाओं को अक्षुण रखने के लिए चुनाव मैदान में है। चुनाव प्रचार के दौरान फडणवीस ने कहा था कि विदर्भ राज्य की मांग भाजपा का सैद्धांतिक रुख है।
उन्होंने कहा कि शिवसेना ने आम आदमी के लिए 10 रुपये में भर पेट भोजन और एक रुपये में चिकित्सकीय जांच का वादा किया है। चुनाव अभियान में ऐसा कोई होना चाहिए जो राज्य और आम आदमी से जुड़े मुद्दों के बारे में बोले। फडणवीस ने पिछले पांच वर्षों में राज्य के लिए क्या किया है इसका परीक्षण कल होगा।
उन्होंने कहा कि कम से कम 37 विधानसभा क्षेत्रों में बागी हैं। दोनों पार्टियों (भाजपा और शिवसेना) ने पहले अलग-अलग चुनाव लड़ने की तैयारी की थी, इसलिए टिकट चाहने वालों में से कई ने अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों में प्रासंगिक बने रहने के लिए ऐसा कर रहे हैं इसलिए मैं उन्हें बागी नहीं कहूंगा।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र की सभी 288 विधानसभा सीटों के लिए सोमवार को मतदान होगा और मतगणना 24 अक्टूबर को होगी।