महावीर स्वामी अहिंसा के प्रतीक थे। उन्होंने 'जियो और जीने दो' के संदेश को अपनाया। जानिए भगवान महावीर के 10 अनमोल बचन...
* अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है अत: हमें 'जियो और जीने दो' के संदेश पर कायम रहना चाहिए।
* प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता।
* शांति और आत्मनियंत्रण ही सही मायने में अहिंसा है।
* हर जीवित प्राणी के प्रति दयाभाव ही अहिंसा है। घृणा से मनुष्य का विनाश होता है।
* सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान का भाव ही अहिंसा है।
* सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से ही दुखी होते हैं और वे खुद अपनी गलती सुधारकर प्रसन्न हो सकते हैं।
* महावीर कहते हैं कि खुद पर विजय प्राप्त करना, लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।
* आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु अपने भीतर रहते हैं। वे शत्रु हैं- लालच, द्वेष, क्रोध, घमंड और आसक्ति और नफरत।
* आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है।
* महावीर हमें स्वयं से लड़ने की प्रेरणा देते हैं। वे कहते हैं- स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना? जो स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी।