परंपरा का मीठा पर्व संक्रांति

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शिशिर की सर्द सुबह का सूरज देशभर में मिठास घोलने का पैगाम लाने को बेताब है। सूर्यदेवता के उत्तरायण होने के साथ ही किरणें प्रखर होंगी। मकर संक्रांति पर्व पर शहरवासियों में नई ऊर्जा का संचार लेकर आएगा। महिलाएँ अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना में हल्दी कुंकू करेंगी और दिनभर (तिलगुळ घ्या गोड़गोड़ बोला) की आवाज सुनाई पड़ेगी। दिनभर पतंग के पेंच लड़ेंगे और रात तक आसमान में इंद्रधनुषी रंगों का कब्जा रहेगा।

होगा हल्दी-कुँकू का आयोजन : उत्सवप्रिय शहर में मकर संक्रांति पर्व की तैयारियाँ की गई हैं। घर-घर में महिलाएँ परंपरागत तिल और गुड़ के लड्डू बनाने में व्यस्त रहीं। खास तौर पर मराठीभाषी परिवारों में मकर संक्रांति का विशेष महत्व होने से महिलाओं ने विशेष तैयारी की। गुरुवार को सुहागन महिलाएँ एक-दूसरे को मिट्टी के सुघड़ (वाण) देंगी। सुघड़ में खिचड़ी, बटला, गन्ना, गाजर, हरा छोड़, बेर आदि सामग्री भरी जाती हैं।

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मंदिर में महिलाएँ सुघड़ का आदान-प्रदान कर एक-दूसरे को हल्दी-कुँकू लगाकर वस्तु का दान करेंगी। मान्यता है कि सुहागन महिलाओं द्वारा वस्तु का दान करने से पति की आयु लंबी होती है। पूर्णिमा तक मराठीभाषी परिवारों में हल्दी-कुँकू का सिलसिला चलता रहेगा।

गिल्ली-डंडा खेलेंगे : वैसे तो आजकल गिल्ली-डंडा और सितोलिया खेल ज्यादा प्रचलन में नहीं है, लेकिन इंदौर के कई परिवारों में और कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा परंपरा का निर्वाह किया जा रहा है। खासतौर पर महिलाएँ और बच्चों में गिल्ली-डंडा खेलने का बहुत उत्साह रहता है। कई परिवारों ने संक्रांति पर्व के लिए विशेष रूप से गिल्ली-डंडा तैयार करवाए हैं।

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दिनभर इठलाएँगी पतंगें : मकर संक्रांति पर सुबह से ही आकाश में पतंगें इठलाती नजर आएँगी। इसके लिए बच्चों सहित परिवार के सभी सदस्यों ने पतंग की दुकानों से बड़ी संख्या में अलग-अलग रंगों और डिजाइन की पतंग खरीदी है।

तिल दान से मुक्ति : शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति पर तिल खाना, तिल से स्नान करना और तिल का दान करने से व्यक्ति को काफी पुण्य मिलता है। गरीब व्यक्ति को कपड़ा दान करने से मानसिक शांति मिलती है। तिल दान से ग्रहों का प्रकोप भी मिटता है। ठंड के दिनों में तिल-गुड़ खाना स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी लाभदायक है।

दिन होंगे बड़े : मान्यता है कि मकर संक्रांति पर सूर्य के उत्तर दिशा में जाने से दिन बड़े होने लगते हैं और इसी के साथ वसंत ऋतु का आगमन होगा।

उत्तरायण में सूर्य के होने से व्यक्ति में नई ऊर्जा का संचार होता है और रोग, दोष, संताप से मुक्ति मिलती है। साथ ही मकर संक्रांति से छः माह तक देह त्याग करने वाले व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है। सूर्य का उत्तर दिशा में होने का आध्यात्मिक रूप से काफी महत्व है।

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