मां पर मुक्तक
न पूजा, न अरदास करता हूं,
मां तेरे चरणों में निवास करता हूं।
औरों लिए तू सब कुछ दे दे,
मैं तेरी मुस्कान की आस करता हूं।
तेरा हर आंसू दर्द का समंदर है,
मां बख्श दे मुझे जो दर्द अंदर है।
यूं न रो अपने बेटे के सामने,
तेरा आंचल मेरे लिए कलंदर है।
मां तू क्यों रोती है मैं हूं ना,
तुझको जन्नत के बदले भी मैं दूं ना।
तेरी हर सांस महकती मुझ में,
आंसू गिरे आंख से तेरे,
धिक्कार उठे जन्मों को मेरे।
मत रो मां तू अब चुप हो जा,