मां कहें या मैया, माई कहें या बाई
अम्मी हो, मॉम हो या मम्मा
‘बा’हो महतारी हो या अम्मा
नाम लेते ही दिल में हलचल होती है
गुबार उठता है
फिर कुछ पिघलकर बहने लगता है
आंखों में बूंदें सिमटती हैं पर टपकती नहीं
कई निराशाओं को धूमिल कर देती
मां की एक आशा
बिन कहे, बिन सुने समझ लेती
बच्चों के मन की भाषा