नीमच-मंदसौर जिले में टिकट वितरण और शुक्रवार को नाम निर्देशन दाखिल करने की आखिरी तारीख के बाद सीन लगभग क्लीयर हो गया है। भाजपा और कांग्रेस में बड़े पैमाने पर बगावत सामने आई है। इस बगावत में एक खास बात यह देखी जा रही है कि भाजपा में जहां पिछड़े नेता बगावत पर आमादा हैं, तो कांग्रेस में सवर्णों के बागी स्वर हैं। ये तमाम बागी अपने-अपने दलों के कद्दावर नेता हैं। यदि ये मैदान में डटे रहे तो दोनों ही दलों के समीकरण बिगाड़ देंगे।
यदि भाजपा की बात करें तो नीमच से पूर्व विधायक स्व. खुमानसिंह शिवाजी के बेटे सज्जनसिंह चौहान ने बगावत कर दी है। वे सोंधिया समाज से आते हैं। इनके समाज के यहां करीब 10 हजार वोट हैं, फिर स्व. शिवाजी का बड़ा नाम है। उन्होंने 7 चुनाव विधानसभा के लड़े और 5 बार विधायक रहे। यहीं से मेनारिया ब्राह्मण और विहिप के पूर्व जिला संयोजक बाबूलाल नागदा भी मैदान में आ गए हैं। इनकी बिरादरी के और सकल ब्राह्मण मिलाकर 15 हजार वोट हैं, वहीं जावद से कद्दावर भाजपा नेता पूर्ण अहीर ने भी निर्दलीय पर्चा भरा है। उनका जमीनी आधार बेहद मजबूत है। यदि वे भी मैदान में टिके तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
भाजपा में दूसरा बड़ा रिवोल्ट गरोठ में हुआ है, जहां से वर्तमान विधायक चंदरसिंह सिसौदिया ने शुक्रवार को बागी पर्चा भरा। यहां उनके सोंधिया समाज के 30 हजार से अधिक वोट हैं और वे पार्टी को बड़ी चुनौती दे सकते हैं, क्योंकि पार्टी ने यहां से देवीलाल धाकड़ को उम्मीदवार बनाया है, जो धाकड़ समाज से हैं। वहीं सुवासरा से बड़े भाजपा नेता गोपाल काला ने बगावत का बिगुल बजा दिया है। यहां उनके पोरवाल समाज के करीब 20 हजार वोट हैं, जो कट्टर भाजपा से जुड़े हैं।
यदि कांग्रेस की बात करें तो जावद से समंदर पटेल ने बगावत का बिगूल फूंका है। उनके समाज के यहां करीब 20 हजार वोट हैं, लेकिन ये वोटर कट्टर भाजपा के माने जाते हैं इसलिए हो सकता है कि इसका नुकसान भाजपा को अधिक हो, जबकि नीमच से मधु बंसल ने ताल ठोंक दी है। वे कारोबारी जमात से आती हैं और इस समाज के यहां 15 हजार वोट हैं। वहीं सुवासरा-सीतामऊ से कांग्रेस के जिला कार्यवाहक अध्यक्ष ओमसिंह भाटी ने पूरे दमखम से बागी पर्चा भरा। यहां राजपूत वोट करीब 30 हजार हैं और सभी ने एकमत होकर भाटी को उम्मीदवार घोषित किया।
कुल मिलाकर बगावत के इस बिगुल से दोनों ही दल परेशान हैं। एक खास बात यह है कि नीमच-मंदसौर की सातों विधानसभा सीटों में से भाजपा ने एक भी गुर्जर, गायरी और धनगर व्यक्ति को उम्मीदवार नहीं बनाया जबकि इन 7 सीटों पर करीब 1.50 लाख से अधिक वोट गुर्जर, गायरी और धनगर समाज के हैं। ये तीनों समाज एक ही माने जाते हैं जबकि कांग्रेस ने मनासा से एक गुर्जर को टिकट दिया है।
बगावत पर जब हमने भाजपा प्रदेश महामंत्री बंशीलाल गुर्जर से बात की तो उन्होंने कहा कि पार्टी ने संतुलन बनाकर टिकट दिए हैं। उन्होंने कहा कि गुर्जर समाज से पार्टी ने मात्र एक मुरैना से गुर्जर उम्मीदवार दिया है जबकि कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में 10 गुर्जर उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। गौरतलब है कि बंशीलाल गुर्जर मंदसौर से उम्मीदवारी चाहते थे और उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया।
जब हमने कांग्रेस की जिला कार्यवाहक अध्यक्ष और नीमच से बागी चुनाव लड़ रहीं मधु बंसल से बात की तो उनका कहना था कि पार्टी आलाकमान ने आंखों पर पट्टी बांध रखी है और उन नेताओं को उम्मीदवार बनाया गया जिन्होंने पार्टी से बगावत की और पार्टी को हराया था।