एमटीसीआर (मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजिम) के 34 देशों के समूह में अब भारत का प्रवेश हो चुका है। एमटीसीआर समूह में प्रवेश के बाद भारत न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप की सदस्यता के ज्यादा करीब पहुंच गया है। अब लोगों की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की सदस्यता के लिए क्या विशेष अभियान चलाते हैं।
एमटीसीआर में शामिल होने के बाद अब भारत मिसाइल टेक्नोलॉजी के ज्यादा आधुनिक उपकरण खरीद सकेगा। इसका मतलब यह हुआ कि भारत अब ज्यादा घातक विमान और उपकरण भारतीय वायुसेना के लिए खरीद सकेगा। जिस तरह अफगानिस्तान में अमेरिकी ड्रोन विमानों ने तालिबानियों का सफाया किया, वैसे ड्रोन विमान खरीदने का रास्ता आसान हो गया है। इसका मतलब भारतीय वायुसेना की मादक क्षमता को बढ़ाना है।
इसी के साथ भारत अब सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोज रूस के साथ मिलकर उत्पादित कर सकता है और तीसरी दुनिया के देशों में बेच भी सकता है। ऐसी मिसाइलें खरीदने के लिए वियतनाम पहले से ही इच्छुक है। कहा जा रहा है कि इस तकनीक का आयात शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए होगा। अब यह बात सभी जानते हैं कि ये शांतिपूर्ण उद्देश्य क्या होते हैं?
सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस अभियान को प्रमुखता से जगह मिली। एक तरफ लोगों ने इसे मोदी सरकार की कूटनीति की जीत बताई है, तो दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं, जो मानते हैं कि इससे हथियारों की होड़ बढ़ेगी और दीर्घकाल में शांति के प्रयासों में रुकावट आएगी। प्रशंसा करने वालों ने माना है कि प्रधानमंत्री ने इसके लिए कड़ी मेहनत की है। प्रधानमंत्री मोदी की यह उपलब्धि असंभव तुल्य काम को सफल बनाने की मानी जा रही है।
मोदी के समर्थकों ने लिखा है कि केवल नरेन्द्र मोदी ही यह काम कर सकते थे। इसमें दोमत नहीं कि अब भारत ज्यादा क्षमता वाले द्रोन विमान खरीदेगा और चीन तथा पाकिस्तान की सीमाओं पर उनकी तैनाती करेगी। इसी के साथ भारत अमेरिकी मदद से 6 नए परमाणु बिजली घर स्थापित करने जा रहा है। परमाणु बिजली घर भी पूरी दुनिया में विवादों का विषय रहे हैं, लेकिन नरेन्द्र मोदी मानते हैं कि भारत में बिजली की कमी दूर करने के लिए परमाणु ऊर्जा उपयोगी साबित हो सकती है।
भारत की इन उपलब्धियों पर पाकिस्तानी न्यूज चैनल आए दिन हंगामा खड़ा कर रहे हैं। ट्विटर पर लिखा जा रहा है कि अगर आप नरेन्द्र मोदी की इन उपलब्धियों को वास्तव में समझना चाहते हैं, तो पाकिस्तानी टीवी न्यूज चैनल देखिए किस तरह वे भारत की उपलब्धियों पर छाती पीट रही हैं और सियापा कर रहे हैं।
नरेन्द्र मोदी के विरोधी भी कम नहीं हैं। एमटीसीआर के 35वें देश के रूप में उन्हें भारत की रक्षा नीति में कमजोरियां नजर आती हैं। कुछ लोगों को लगता है कि भारत अधिनायकवादी कदम बढ़ाता जा रहा है। भारत एक जवाबदेही समझने वाला देश है और अगर हमारे नेताओं से कोई गलती हुई, तो उसका खामियाजा पूरी दुनिया को उठाना पड़ सकता है।
12 सालों से एमटीसीआर में कोई नया देश शामिल नहीं हो पा रहा था। एक साल पहले से ही भारत ने इसमें शामिल होने के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे। भारत ने इस दिशा में जो कदम उठाए थे, वे इतने सोचे-समझे थे कि उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था। सोशल मीडिया पर राजनीतिज्ञों और रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की यह सबसे बड़ी ताजी कूटनीतिक विजय है और कोई कारण नहीं है कि हम इस उपलब्धि पर फख्र न करें।
अब भारत को इटली, ब्लैकमेल नहीं कर पाएगा। इसी के साथ भारत की नजदीकी इजराइल और रूस के साथ बढ़ेगी। केवल प्रतिबद्ध राजनीतिक नेतृत्व ही इस तरह के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। नरेन्द्र मोदी के प्रशंसकों ने इसे नरेन्द्र मोदी की सबसे बड़ी कामयाबियों में गिना है। इस बात को भी नरेन्द्र मोदी की उपलब्धि ही कहा जा रहा है कि एमटीसीआर के किसी भी सदस्य देश ने भारत की सदस्यता का विरोध नहीं किया और भारत इस समूह का 35वां देश बनने में कामयाब रहा। अब इसरो ज्यादा दक्षता से काम कर पाएगा और भारत अपनी मिसाइलों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार खोल सकेगा।