व्हाट्सएप का महत्व कम नहीं

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी
# माय हैशटैग
टि्वटर पर अमिताभ बच्चन ने कुछ वर्ष पहले एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने व्हाट्सएप का जिक्र करते हुए लिखा था कि मैं इस ऐप का आदी हो गया हूं। उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों और मित्रों का जिक्र भी किया था जिनसे वे लगातार इस ऐप के माध्यम से जुड़े रहते हैं। अमिताभ बच्चन वैसे तो सोशल मीडिया के लगभग सभी प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हैं, लेकिन व्हाट्सएप के प्रति उनका यह कमेंट उल्लेखनीय है।
मुझे भी व्हाट्सएप के आदी होने वाले कुछ लोगों के बारे में तब पता चला, जब हमारे शहर में कुछ लोग भागवत कथा और महायज्ञ का आयोजन कर रहे थे। आयोजन से जुड़ी हर जानकारी आयोजकों का ग्रुप व्हाट्सएप पर शेयर करता था, इसमें आयोजन की तैयारी से लेकर दिशा-निर्देश तक शामिल होते थे। अखबारों में छपे कवरेज, टीवी चैनलों पर आई न्यूज और घटनास्थल से लाइव वीडियो भी शेयर किए जा रहे थे।
 
किसी एक अखबार में छोटी एक खबर भी छपती, तो ग्रुप के सभी सदस्यों को पता होता। मैं खुद व्हाट्सएप के 750 समूहों से जुड़ा हूं और रोज काफी समय उन संदेशों को पढ़ने और डिलीट करने में खर्च करता हूं। दो ग्रुपों में मैं एडमिन का काम करता हूं और बरसों बाद एक ग्रुप के एक सदस्य को गलत आचरण के लिए जब मैंने ग्रुप से रिमूव किया, तब उसने मुझसे जिस तरह बात की, उससे लगा कि व्हाट्सएप के उस छोटे से ग्रुप से रिमूव करना उसे कितनी बड़ी बेइज्जती लग रही थी। लंबी बहस के बाद आखिर उन्हें वापस ग्रुप से जोड़ना पड़ा।
 
हाल ही में एक नया अध्ययन सामने आया है जिसमें दावा किया गया है कि 30 साल से कम उम्र के लोग सोशल मीडिया के फेसबुक, इंस्टाग्राम और यू-ट्यूब चैनलों से ज्यादा जुड़े हैं, लेकिन वयस्क और खासकर वरिष्ठ नागरिक व्हाट्सएप पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं। एक मित्र की मां पिछले कुछ दिनों से व्हाट्सएप की आदी हो गईं और दिनभर व्हाट्सएप के मैसेज देखने लगीं, क्योंकि कुछ दिन पहले ही वे अपनी मां को खो चुकी थीं। मां की मृत्यु से उपजे दर्द को उन्होंने व्हाट्सएप के संदेशों में शेयर भी किया और सहानुभूति के संदेशों से उन्हें अपने जख्मों पर मरहम भी महसूस हुआ होगा।
 
वरिष्ठ नागरिक होने के नाते उनके पास समय की कमी नहीं है। वे सुबह गुड मॉर्निंग से लेकर रात को गुड नाइट तक अपने मित्रों से व्हाट्सएप के माध्यम से करती हैं। घर में क्या गतिविधि चल रही है, कौन मेहमान आया, किसने क्या कहा? ये सब बातें उन्होंने अपने-अपने ग्रुप में डालना शुरू कर दिया है। मोहल्ले के लोगों के लिए उन्होंने एक अलग ग्रुप बनाया है, ऑफिस के पुराने साथियों के लिए अलग और परिवार के लिए अलग।
 
उनका कहना है कि यह सबसे आसान ऐप है, जो वे अपने स्मार्टफोन में यूज करती हैं। मेरे दोस्त की मां अब युवाओं की तरह व्हाट्सएप पर इमोजी भेजती हैं, पहेलियां सुलझाती हैं और अकेले होने पर व्हाट्सएप से आए हास्य-व्यंग्य से भरे वीडियो देखकर खिलखिलाती हैं। जब से उन्हें यह ऐप मिला है, उन्होंने अकेले होने या बोर होने की शिकायतें होना बंद कर दिया।
 
भारत में कुल 20 करोड़ लोग व्हाट्सएप का इस्तेमाल करते हैं। व्हाट्सएप ग्रुप में सीमित संख्या में ही सदस्य बनाए जा सकते हैं, लेकिन फिर भी अपने ग्रुप में सक्रिय रहने के लिए यह एक बहुत अच्छा प्लेटफॉर्म है। करोड़ों लोग भारत में संदेशों के आदान-प्रदान के लिए टि्वटर, वीडियो शेयरिंग के लिए यू-ट्यूब, विचारों के लिए फेसबुक और तस्वीरों के लिए इंस्टाग्राम का उपयोग करते हैं, लेकिन अभी भी लोगों को लगता है कि फेसबुक मैसेंजर की तुलना में व्हाट्सएप ज्यादा आसान है।
 
सामान्य घरेलू महिलाओं ने भी अपने मोबाइल में व्हाट्सएप डाउनलोड कर रखा है और अपने ग्रुप बना रखे हैं। गॉसिप करने का यह नया जरिया बन गया है। अनेक लोगों को लगता है कि फेसबुक थोड़ा जटिल है और इतने विशाल ग्रुप से कहने के लिए हर एक के पास संदेश नहीं होता।
 
व्हाट्सएप पर जिस फीचर को लोग पसंद करते हैं, उसमें से एक मैसेज को फॉरवर्ड करना भी शामिल है। आमतौर पर गृहिणियों और वरिष्ठ नागरिकों के संपर्क का दायरा बहुत विशाल नहीं होता, ऐसे में उन्हें व्हाट्सएप रास आता है। ग्रुप में लतीफे, वीडियो और वन लाइनर चल निकलते हैं। युवाओं में ऐसे लोग भी हैं, जो व्हाट्सएप को पसंद नहीं करते और उन्हें यह बकवास लगता है, क्योंकि उन्हें काफी समय अनचाहे संदेशों को ही डिलीट करने में लगता है, वरना वे संदेश मोबाइल की जगह मोबाइल का स्पेस खा जाते हैं।
 
मीडिया में लोग व्हाट्सएप का उपयोग अपने तरीके से कर रहे हैं। महानगरों और कस्बों तक वे पत्रकार अपने समूह में न्यूज शेयर करने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ अखबारों ने तो व्हाट्सएप के लिए अलग छोटे-छोटे एडिशन शुरू कर दिए हैं और कुछ उत्साही वीडियो पत्रकारों ने व्हाट्सएप बुलेटिन वीडियो फॉर्मेट में भी शुरू कर दिए हैं। इनका कोई ऐसा मॉडल सामने नहीं आया है जिससे कि पैसे कमाएं जा सकें, लेकिन अपनी बात कहने के लिए यह एक अच्छा मंच तो है ही।
 
व्हाट्सएप के साथ एक बड़ी दिक्कत यह भी है कि लोगों ने इसे अफवाहें फैलाने का जरिया भी बना लिया है। कई ऐसे लोग भी हैं, जो इस बात पर भरोसा करते हैं कि व्हाट्सएप पर आए हुए संदेश सही होते हैं। अफवाह फैलाने वाले अपनी अफवाह को वजनदार करने के लिए जानकारी के स्रोत के रूप में मशहूर टीवी चैनल और अखबारों के नाम भी लिखने में नहीं हिचकिचाते।
 
साइबर सुरक्षा से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि व्हाट्सएप के उपयोग में कोई बुराई नहीं है, लेकिन समस्या तब खड़ी होती है, जब लोग बिना पढ़े और समझे व्हाट्सएप पर आए संदेशों को अलग-अलग ग्रुप में फॉरवर्ड करने लगते हैं। ऐसे में अफवाहों पर नियंत्रण करना कठिन हो जाता है। व्हाट्सएप का एडिक्ट होना भी एक बड़ी बीमारी के रूप में फैलता जा रहा है।

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