हर साल करवा चौथ पर सभी पत्नियां अपने पति की लंबी आयु के लिए कठिन व्रत रखती हैं। लेकिन क्या ये व्रत पति को भी अपनी पत्नी की दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए नहीं रखना चाहिए? यही बात हमने पति-पत्नियों और युवाओं से जानने की कोशिश की। हमने लोगों से बातें करके जो जाना, उसका अनुमान आप लगा ही सकते हैं। हर उम्र की पत्नियों की राय है कि यदि वे अपने पति के लिए कड़े नियमों का पालन कर व्रत रख सकती हैं, तो उनके पति को भी उनके लिए इस दिन व्रत रखना चाहिए।
पत्नियों का मानना है कि वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी दोनों को ही बराबरी से अपने प्रेम को जाहिर करना चाहिए। करवा चौथ का व्रत यदि दोनों ही एक-दूसरे के लिए रखें, तो इससे उनका रिश्ता पहले से ज्यादा मजबूत होता है, साथ ही आपसी प्रेम और विश्वास बढ़ता है।
हमारी सभी आयु वर्ग के लोगों से की गई बातचीत में यही सामने आया कि अधिकांश पत्नियां यही चाहती हैं कि उनके पति, उनके बिना बोले ही खुद भी व्रत रखकर उनका साथ दें। यदि पति को कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या या व्रत न रख पाने का कोई बड़ा कारण हो, तब बात अलग है। लोगों से बात करके हमने यह भी पाया कि पत्नियों को चाहे पति कोई भी तोहफा न दे, लेकिन अगर वे पत्नियों का साथ देने के लिए उनके साथ व्रत रखें, तो यह बात उनके दिल को ज्यादा छूती है।
वहीं कई पति ऐसे निकले, जो हर साल अपनी पत्नियों का साथ देने के लिए करवा चौथ का व्रत रखते आ रहे हैं। हालांकि इनमें वे पति अधिक हैं जिन्होंने प्रेम विवाह किया है।
लोगों से बातचीत के दौरान कई पति ऐसे भी मिले, जो करवा चौथ पर अपनी पत्नी के लिए व्रत नहीं रखते और न ही आगे रखना चाहते हैं। जब उनसे कारण पूछा गया तो उनका कहना था कि उन्होंने ऐसा करने का कभी सोचा ही नहीं, साथ ही दिनभर बाहर रहकर काम करने की वजह से उनके लिए कठिन व्रत रख पाना संभव नहीं होता। वहीं कुछ लड़के ऐसे भी हैं, जो शादी होने से पहले ही अपनी होने वाली पत्नी के लिए व्रत रखने की इच्छा रखते हैं।
तो, इस प्रश्न पर लोगों की राय जानकर कुल मिलाकर नतीजा यही निकला कि अगर पति अपनी पत्नी को अधिक खुश, उनका ज्यादा प्रेम और विश्वास पाना चाहते हैं, अगर वे स्वस्थ हो और संभव हो, तो उन्हें अपनी पत्नी के साथ व्रत रखना चाहिए, क्योंकि अधिकांश पत्नियों की यही राय है।