दुनिया में स्वाइन फ्लू का पहला प्रकरण मैक्सिको में इस वर्ष 18 मार्च को प्रकाश में आने के बाद भारत में 29 मई को इसका पहला मामला सामने आया, लेकिन तब से लेकर अब तक इसका वायरस काफी कमजोर पड़ चुका है। आम लोगों को इस बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है।
Girish Srivastava
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भोपाल के जाने-माने होम्योपैथिक चिकित्सक और देश-विदेश में कई शोध पत्र पढ़ चुके डॉ निशांत नंबीसन ने दावा किया है कि अब स्वाइन फ्लू का संक्रमण बेहद खतरनाक नहीं रह गया है। होम्योपैथ और आयुर्वेद दोनों पद्धतियों के चिकित्सकों का यह भी दावा है कि उनके यहाँ इस रोग के उपचार के विकल्प मौजूद हैं।
सरकारी होम्योपैथी कॉलेज में व्याख्याता डॉ नंबीसन ने कहा कि इन्फ्लूऐंजियम 200 की एक खुराक लेने से स्वाइन फ्लू की चपेट में आने की आशंका से बचा जा सकता है। इसके अलावा इस पद्धति में ऐसी अनेक दवाएँ हैं, जिनकी मदद से पीड़ित मरीज को रोगमुक्त किया जा सकता है।
भोपाल की प्रसिद्ध नाड़ी विशेषज्ञ और छाया परीक्षक पंडित चंद्रशेखर वैद्य का कहना है कि स्वाइन फ्लू को आयुर्वेद शास्त्र में फुफ्फुस श्वास रोग कहा जाता है। इससे निजात पाने के लिए महामृगांक रस रामबाण दवा के रूप में जानी जाती है। उन्होंने दावा किया कि आयुर्वेद चिकित्सक की राय पर इसका पाँच दिन तक सेवन करने से स्वाइन फ्लू पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
वैद्य का कहना है कि स्वाइन फ्लू का वायरस श्वास नली के माध्यम से फेफड़ों को बुरी तरह प्रभावित करता है। इससे रोगी की स्थिति बिगड़ती जाती है और उसकी जान पर भी बन आती है। ऐसे रोगियों को उसकी स्थिति के अनुरूप महामृगांक रस और जयमंगल रस से युक्त दवाएँ देने पर काफी लाभ मिलता है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा एहतियात के तौर पर पीपल के पत्ते के साथ पिप्पलादि रस का सेवन करने से स्वाइन फ्लू से बचाव किया जा सकता है। वे इन दिनों इस तरह की दवाइयों का वितरण यहाँ के अनेक लोगों को कर रहे हैं।
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होम्योपैथी चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ चंचल जैन ने कहा कि किसी रोग के निदान से रोकथाम को बेहतर माना जाता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में ऐसी कुछ दवाएँ हैं, जिनके सेवन के बाद व्यक्ति को स्वाइन फ्लू से पीड़ित होने का खतरा नहीं रहेगा।
उन्होंने बताया कि स्वाइन फ्लू से पीड़ित होने पर जेल्सीमियम 30 नामक औषधि सबसे अधिक कारगर मानी जाती है। इसके अलावा वह एहतियात के तौर पर इन दिनों सामान्य फ्लू से पीड़ित मरीजों को एन्फ्लूएंजियम 200 और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली अन्य दवाएँ दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बारिश के दिनों में काफी व्यक्ति सर्दी-जुकाम और बुखार से पीड़ित होते हैं। लगभग इसी तरह के लक्षण स्वाइन फ्लू से पीड़ित मरीजों के होते हैं। ऐसी स्थिति में स्वाइन फ्लू और अन्य प्रकार के फ्लू से पीड़ित व्यक्तियों के रोग की पहचान करना आसान नहीं है।
डॉ शुक्ला ने बताया कि इसलिए इन दिनों सार्वजनिक स्थानों पर सावधानी के साथ रहना चाहिए। भीड़भाड़ वाले इलाकों और सार्वजनिक परिवहन के साधनों का इस्तेमाल करते समय नाक पर कपड़ा या मॉस्क का इस्तेमाल करना चाहिए। सर्दी-जुकाम से पीड़ित मरीज से पर्याप्त दूरी बनाए रखते हुए साफ-सफाई पर विशेष ध्यान होना चाहिए।
एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में स्वाइन फ्लू का एक भी मामला सामने नहीं आया है। इसके बावजूद एहतियात के तौर पर संभावित खतरे से निपटने के लिए सभी आवश्यक उपाय कर लिए गए हैं। अभी तक स्वाइन फ्लू से संबंधित नौ सेंपल जाँच के लिए दिल्ली भेजे गए हैं। इनमें तीन भोपाल के और छह जबलपुर के हैं।
सरकार ने स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए टेमी फ्लू के सात हजार कैप्सूल, तीन हजार ट्रिपल केयर मॉस्क, चार हजार एन-95 मॉस्क और 300 विशेष प्रकार के किट मँगाकर विभिन्न अस्पतालों में पहुँचा दिए हैं1
संभागीय और जिला स्तर पर 16 निजी अस्पतालों को इस रोग से पीडित मरीजों के इलाज के लिए चिह्नित किया गया है। इसके अलावा एहतियातन अनेक उपाय किए गए हैं।
देश में स्वाइन फ्लू के कारण अब तक सात लोगों की मृत्यु होने और तीन सौ से अधिक लोगों के प्रभावित होने की जानकारी सामने आई है।