घर में लगी आग से बहन को बचाने वाला मणिपुर का सात वर्षीय कोरगंबा कुमाम हो या नदी में डूबते चार लोगों को बचाने वाला गुजरात का 17 वर्षीय तरंग मिस्त्री। ऐसे 22 बहादुर बच्चों के साहसिक कारनामों के लिए प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह उन्हें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सम्मानित करेंगे।
भारतीय बाल कल्याण परिषद ने यहां राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार-2012 के विजेता बच्चों की घोषणा की। इस साल एक पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जाएगा। मिजोरम के दिवंगत रामदिनथारा ने 15-20 फुट गहरे पानी में डूबते कुछ बच्चों को तो बचा लिया लेकिन इस संघर्ष में अपनी जान गंवा दी।
इन बाल वीरों में एक ऐसी किशोरी भी शामिल है जिसने एक बालगृह में होने वाले शारीरिक शोषण के खिलाफ आवाज उठाई और अन्य बच्चियों के लिए उदाहरण बन गई। अदालत के निर्देशानुसार बच्ची की पहचान जाहिर नहीं की गई है। उसे गीता चोपड़ा पुरस्कार के लिए चुना गया है।
22 बच्चों में 18 बालक और चार बालिकाएं हैं। ये बच्चे 26 जनवरी को राजपथ पर परेड में भी शामिल होंगे। बहादुरी पुरस्कार अलग-अलग श्रेणियों में दिए जाते हैं। भारत अवॉर्ड के लिए गुजरात के तरंग को चुना गया है। संजय चोपड़ा पुरस्कार के लिए छत्तीसगढ़ के 10 वर्षीय गजेंद्र राम को चुना गया है जिसने कुएं में डूबते बच्चे की जान बचाई।
उत्तरप्रदेश के विजय कुमार सैनी (15), छत्तीसगढ़ की आकांक्षा गौते (16) और महाराष्ट्र की हाली रघुनाथ बरफ (15) को बापू ज्ञाधानी अवॉर्ड से विभूषित किया जाएगा। अन्य विजेताओं में छत्तीसगढ़ के देवांश तिवारी (8) और मुकेश निषाद (16), मिजोरम से ललरनहुआ (12), तमिलनाडु से ई सुगंधन (12), केरल के रमिथ के (14), मेबिन साइरियाक (16) और विष्णु एम वी (17), महाराष्ट्र से अनिल पंडित (14), उत्तरप्रदेश से विश्वेंद्र लोखना (15), सतेंद्र लोखना (15) और पवन कुमार कनौजिया (12), मेघालय से स्ट्रिपलीजमेन मिलियम (9), राजस्थान की सपना कुमारी मीणा (14) और कर्नाटक से सुहैल के एम (13) हैं।
रायपुर (छत्तीसगढ़) की 16 वर्षीय आकांक्षा अपने आत्मविश्वास से अन्य बालिकाओं के लिए मिसाल है। जूडो-कराटे में ब्लैक बेल्ट हासिल कर चुकी और राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पदक हासिल करने वाली आकांक्षा अपने परिवार का पीछा कर रहे बदमाशों पर टूट पड़ी थी और अपने मार्शल आर्ट से उन बदमाशों को पुलिस तक पहुंचाया।
साढ़े सात साल का कोरगंबा और साढ़े आठ वर्षीय देवांश वीरता पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के बच्चे हैं और दोनों ही सेना में शामिल होने का जज्बा रखते हैं। बच्चों को पुरस्कार स्वरूप एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि प्रदान की जाएगी। योग्यता के अनुसार कुछ बच्चों को उनकी स्कूली शिक्षा पूरी होने तक वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी। (भाषा)